पंचतत्व में विलीन हुए अशोक सिंघल

नयी दिल्ली : अस्सी के दशक के अंतिम वर्षो और बाद के दिनों में राम जन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विहिप नेता अशोक सिंघल का मंगलवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को आज आरएसएस के कार्यालय में रखा गया जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2015 8:02 AM

नयी दिल्ली : अस्सी के दशक के अंतिम वर्षो और बाद के दिनों में राम जन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विहिप नेता अशोक सिंघल का मंगलवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को आज आरएसएस के कार्यालय में रखा गया जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. यहां भाजपा और विहिप के नेताओं समेत अन्य लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार दोपहर तीन बजे निगम बोध घाट पर सिंघल का अंतिम संस्‍कार किया गया.

मंगलवार को विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगडिया ने बताया कि सांस संबंधी और अन्य परेशानियों के बाद पिछले शनिवार को मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराए गए सिंघल (89) का हृदय गति रुकने और सेप्टीसीमिया के कारण दिन में दो बजकर 24 मिनट पर निधन हो गया. आपको बता दें कि तोगडिया खुद एक डॉक्टर हैं.

उनके निधन की खबर से चारो ओर शोक का माहौल व्याप्त हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंघल के निधन पर शोक व्यक्त किया. नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘अशोक सिंघलजी का निधन गहरी निजी क्षति है. वह अपने आप में एक संस्था थे जिन्होंने आजीवन देश की सेवा की.’ उन्होंने कहा कि उनका सौभाग्य है कि अशोकजी का उन्हें हमेशा आशीर्वाद और मार्गदर्शन मिला. उन्होंने कहा, ‘‘उनके परिवार और अनगिनत समर्थकों को मेरी संवेदनाएं.’ प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि अशोक सिंघल कई अनूठी चीजों और सामाजिक कार्यों के प्रेरणास्रोत थे जिनका फायदा गरीबों को मिला. ‘वह पीढियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं. ‘

आजीवन अविवाहित और आरएसएस प्रचारक रहे सिंघल ने दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस तक कारसेवक अभियान चलाने में आक्रामक शैली अपनायी थी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से धातु विज्ञान इंजीनियरिंग में स्नातक सिंघल ने अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में संगठन को आगे बढाया. दुनिया भर में समर्थक बनाकर और शाखाएं लगाकर इसे अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाने की कोशिश की. विहिप के अभियान में विदेशी समर्थकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

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