‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र पाञ्चजन्य में दादरी में बीफ खाने की अफवाह पर एक शख्स की पीटकर हत्या करने के मामले पर लेख छापा गया है जिसमें इस घटना को सही बताया गया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार मुखपत्र के नवीनतम अंक के कवर स्टोरी में इस मामले को लेकर एक लेख छापा गया है जिसमें लिखा गया है कि दादरी में अखलाक की हत्या वेद के अनुसार की गयी है. लेख में कहा गया है कि वेद उन ‘पापियों’ की हत्या के लिए प्रेरित करता है जो लोग गोवध करते हैं.
मुखपत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि मदरसे और मुस्लिम नेता युवा मुस्लिमों को गोहत्या करने के लिए उकसाते हैं. ये लोग देश की परंपराओं से नफरत करना सिखाते हैं. लेखके मुताबिक, ‘अखलाक इन्हीं बुरी हिदायतों के चलते शायद गोवध में शामिल रहा होगा जिसके तहत उसकी हत्या कर दी गयी.गौरतलब है कि आरएसएस केंद्र में सत्ताधारी भाजपा का आइडियोलॉजिकल संगठन है.
पाञ्चजन्य में लिखा गया है कि वेद का आदेश है कि गऊ हत्या करने वाले पापियों के प्राण हर लो. हम में से बहुतों के लिए तो यह जीवन मरण का प्रश्न बन जाता है. सैकड़ों सालों से गोवध हमारे लिए बहुत बड़ा मुद्दा रहा है और आगे भी रहेगा. हमारे पूर्वजों ने भी इसके खिलाफ आवाज उठायी और गोवध रोकने के लिए जान की बाजी लगा दी. इतिहास इसका गवाह है. ऐसे कई मौके आए, जब मुस्लिम घुसपैठियों ने हिंदुओं का धर्मांतरण करने की कोशिश की और उन्हें बलपूर्वक बीफ खिलाना चाहा.
मुखपत्र में साहित्यकारों की ओर से सम्मान लौटाने का भी उल्लेख किया गया है और साहित्यकारों से पूछा गया है कि वे अब तक चुप क्यों थे? लेख के अनुसार न्यूटन ने 1687 में एक थ्योरी दी थी जिसके परिणाम स्वरुप हर एक्शन के विपरीत रिएक्शन होना जरुरी होता है.