राज्यों को कमजोर कर रहा है केंद्र : अरविंद केजरीवाल

नयी दिल्ली: केंद्र के साथ अपनी सरकार की खींचतान के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज भारत के संघवाद को मजबूत बनाने के लिए पूरी तरह विकेंद्रीकरण की मांग की और आरोप लगाया कि मोदी सरकार राज्यों के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही है और न्यायपालिका को भी कमजोर कर रही है. ‘सहयोगात्मक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2015 7:21 PM
an image
नयी दिल्ली: केंद्र के साथ अपनी सरकार की खींचतान के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज भारत के संघवाद को मजबूत बनाने के लिए पूरी तरह विकेंद्रीकरण की मांग की और आरोप लगाया कि मोदी सरकार राज्यों के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही है और न्यायपालिका को भी कमजोर कर रही है.
‘सहयोगात्मक संघवाद’ पर अपनी सरकार द्वारा आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने राजग सरकार पर धन के आवंटन में राजनीति करने और सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल राज्यों को डराने-धमकाने के लिए करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह केंद्र राज्य संबंधों को कमजोर कर रहा है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल नजीब जंग आप सरकार के 30 आदेशों को अमान्य करार देकर केंद्र के ‘एजेंट’ की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह देश के इतिहास में अप्रत्याशित है.पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में केजरीवाल ने दावा किया कि सिर्फ न्यायपालिका के पास सरकार के आदेशों को अवैध घोषित करने की शक्ति है, बशर्ते वे संविधान के खिलाफ हों. उन्होंने आश्चर्य जताया कि ऐसी स्थिति में अदालतों की क्या आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और उपराज्यपाल न सिर्फ राज्य सरकारों की शक्तियों का अतिक्रमण कर रहे हैं, बल्कि वे न्यायपालिका की शक्तियां भी छीन रहे हैं. वे कह रहे हैं कि हम आदेशों को अमान्य कर देंगे, न कि न्यायपालिका.
ऐसा लगता है कि दिल्ली में न्यायाधीशों की कोई आवश्यकता नहीं है.’ दिल्ली सरकार ने सम्मेलन में भाजपा और कांग्रेस शासित राज्यों समेत सभी मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया था लेकिन सिर्फ बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने इसमें हिस्सा लिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मिजोरम के मुख्यमंत्री लल थनहावला और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी ने अपनी तरफ से समर्थन का पत्र भेजा.
केजरीवाल ने कहा, ‘‘आप सब भाजपा नीत केंद्र के हस्तक्षेप के स्तर से वाकिफ हैं. यह दिल्ली तक सीमित नहीं है बल्कि आप इसे पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में होते देख सकते हैं. संविधान में शक्तियों का पृथक्कीकरण स्पष्ट है और उसके खिलाफ जाना सही नहीं है. पूर्ण विकेंद्रीकरण जरुरी है. दलगत राजनीति से उपर उठकर राज्यों को अधिक शक्ति दी जानी चाहिए.’ निर्वाचित सरकारों की सर्वोच्चता की वकालत करते हुए उन्होंने सरकारिया आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्यपालों और उपराज्यपालों की नियुक्तियों में राज्य सरकारों का भी दखल होने की मांग की .
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य केंद्र को तीन नामों का एक पैनल भेज सकते हैं, जिसमें से वह किसी एक को चुन सकती है.’ केजरीवाल ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह राज्यों के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए ‘तीन उपकरणों’ का इस्तेमाल कर रही है. ये हैं उपराज्यपाल या राज्यपाल, केंद्रीय जांच एजेंसियां यथा सीबीआई और वित्त.
केजरीवाल ने कहा कि कुछ मुख्यमंत्री उपस्थित नहीं हो सके क्योंकि दिल्ली सरकार ने उनसे सलाह-मशविरा किए बिना 30 सितंबर की तारीख घोषित कर दी थी. उन्होंने कहा, ‘‘अगली बार हम और समन्वय करेंगे. कुछ ने राजनैतिक विवशताओं की वजह से विरोध किया. ममता बनर्जी ने बिहार चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की बैठक करने की बात कही है.’
उन्होंने कहा कि भारत की संघीय प्रकृति की रक्षा काफी महत्वपूर्ण है ताकि सभी आवाजों के प्रतिनिधित्व को गारंटी दी जा सके.
उन्होंने कहा कि राज्यों पर दबाव बनाने के लिये सीबीआई जैसी एजेन्सियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. धन के बंटवारे के मामले में भी राजनीति की जा रही है. मुख्यमंत्री ने योजना आयोग को भंग किये जाने की आलोचना करते और कहा कि धन अब राज्यों तक नहीं पहुंच रहा है. उन्होंने राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक नहीं बुलाने के लिए केंद्र की आलोचना की. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस सम्मेेलन का आयोजन करने में सहयोग और समर्थन करने के लिए बनर्जी की भी सराहना की.
Exit mobile version