‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : वॉट्सऐप, स्नैपचैट और गूगल हैंगआउट्स जैसे इंटरनेट बेस्ड संदेश डिलीट करना जल्द ही आपकी मुश्किल बढ़ा सकता है. मैसेज बॉक्स से मैसेज डिलीट करना जल्द ही गैरकानूनी करार दिया जा सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि आपको 90 दिन पुराने सारे रिसीव्ड मैसेज प्लेन टेक्स्ट में सेव करके रखने पड़ें और किसी भी जांच में आपको पुलिस का सहयोग करना पडे. लेकिन डरें नहीं फिलहाल यह (इनक्रिप्शन नीति) लागू नहीं हुआ है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने किसी भी मोबाइल उपकरण या कंप्यूटर से भेजे गए एसएमएस और ईमेल सहित कूट भाषा वाले सभी संदेशों को नई इनक्रिप्शन नीति के तहत 90 दिनों तक अनिवार्य रुप से स्टोर करके रखने का प्रस्ताव किया है. प्रस्ताव के मुताबिक, आप जो भी संदेश भेजें, चाहे वह व्हाट्सऐप से, एसएमएस से, ईमेल से या किसी अन्य सेवा से भेजा गया हो, उसे 90 दिनों के लिए अनिवार्य रुप से स्टोर करके रखना होगा और मांगने पर उसे सुरक्षा एजेन्सियों को उपलब्ध कराना होगा.
कूट भाषा में भेजे गए संदेशों को स्टोर करके रखने और मांगने पर उपलब्ध कराने में विफल रहने पर की जाने वाली कानूनी कार्रवाई में जेल की सजा भी हो सकती है. इलेक्ट्रानिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी प्रस्तावित नई इनक्रिप्शन नीति सरकारी विभागों, अकादमिक संस्थानों, नागरिकों और हर तरह के संचार सहित सभी लोगों पर लागू होगी. आमतौर पर व्हाट्सऐप, वाइबर, लाइन, गूगल चैट, याहू मैसेंजर आदि जैसी सभी आधुनिक मैसेजिंग सेवाओं में अत्यधिक कूट भाषा का इस्तेमाल किया जाता है जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए इन संदेशों को स्पष्ट कर पाना मुश्किल होता है.
नीति के मसौदे में कहा गया है, ‘‘ सभी सूचनाओं को संबद्ध बी..सी इकाई द्वारा 90 दिनों तक स्टोर रखा जाएगा और जब कभी मांगा जाये उसे कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उपलब्ध कराया जाएगा. मसौदे में परिभाषित बी वर्ग में सभी सांविधिक संगठन, कार्यकारी निकाय, कारोबारी व वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, अकादमिक संस्थान आएंगे, जबकि सी वर्ग में सरकारी कर्मचारी व गैर अधिकारी या निजी कारोबार कर रहे सभी नागरिक शामिल हैं.