मुंबई: मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में सात आरडीएक्स बमों के फटने के नौ साल बाद एक विशेष महाराष्ट्र संगठित अपराध अदालत (मकोका) के कल अपना फैसला सुनाने की उम्मीद है. उस घटना में 188 लोगों की मृत्यु हुई थी. विशेष मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिंदे ने पिछले साल 19 अगस्त को मुकदमे की सुनवाई पूरी की थी.
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2006 ट्रेन विस्फोट मामला :अदालत कल फैसला सुना सकती है
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मुंबई: मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में सात आरडीएक्स बमों के फटने के नौ साल बाद एक विशेष महाराष्ट्र संगठित अपराध अदालत (मकोका) के कल अपना फैसला सुनाने की उम्मीद है. उस घटना में 188 लोगों की मृत्यु हुई थी. विशेष मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिंदे ने पिछले साल 19 अगस्त को मुकदमे की सुनवाई पूरी […]
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आठ साल तक चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष ने 192 गवाहों का परीक्षण किया जिसमें आठ भारतीय पुलिस सेवा और पांच भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ-साथ 18 चिकित्सक शामिल हैं. बचाव पक्ष के वकीलों ने 51 गवाहों का परीक्षण किया और एक व्यक्ति को अदालत के गवाह के तौर पर बुलाया गया. गवाहों की गवाही तकरीबन 5500 पन्नों में चली.
मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों के प्रथम श्रेणी के डिब्बों में 11 जुलाई 2006 को सात आरडीएक्स बम विस्फोट हुए थे जिसमें 188 लोगों की मौत हुई थी और 829 लोग घायल हुए थे. विस्फोट खार रोड-सांताक्रूज, बांद्रा-खार रोड, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरीवली के बीच हुए.
कमल अहमद अंसारी (37), तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैजल शेख (36), एहतेशाम सिद्दकी (30), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), अब्दुल वाहिद शेख (34), मुजम्मिल शेख (27), सोहैल महमूद शेख (43), जमीर अहमद शेख (36), नवीद हुसैन खान (30), आसिफ खान (38) आरोपी हैं, जिन्हें आतंकवाद निरोधक दस्ते ने गिरफ्तार किया था. मामले में आजम चीमा के साथ 14 अन्य फरार हैं.
गवाहों की गवाही दो साल बाद हुई थी क्योंकि साल 2008 में उच्चतम न्यायालय ने मुकदमे पर रोक लगा दी थी.स्थगनादेश देने से पहले अभियोजन ने पहले ही एक पुलिस अधिकारी की गवाही रिकार्ड कर ली थी. उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल 2010 को स्थगनादेश को हटाया था.
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