‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी के विधायक पंकज पुष्कर अपनी सरकार से ही नाराज चल रहे हैं. "आप" आंदोलन से उपजी पार्टी है ऐसे में पंकज उसी आंदोलन का सहारा लेकर दिल्ली सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाना चाहते हैं. पंकज पुष्कर ने बताया कि अनियमित कॉलोनी संगम विहार में सुविधाओं की कमी को लेकर कई बार वह अपनी बात सरकार तक पहुंचा चुके हैं लेकिन उस पर कोई काम नहीं हुआ.
कहाँ तो तय था चिराग, हर घर के लिए ।
यहाँ मयस्सर नहीं, शहर के लिए ।।#SagamViharSatyagrah pic.twitter.com/boOaD9zosQ— Pankaj Pushkar (@pushkar_pankaj) September 1, 2015
जब सरकार ने उनकी मांगो पर ध्यान नहीं दिया तो अंत में उन्हें सत्याग्रह का रास्ता अपनाना पड़ा. पंकज ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी रास्ते से भटक गयी है. विकास के रास्ते को छोड़कर राजनीति के पुराने रास्ते पर पार्टी चल रही है. एक बार फिर पार्टी को ध्यान देना चाहिए की विकास के रास्ते से भटक कर वह कहां पहुंचे है. पंकज पुष्कर ने ट्वीट करके अपने सत्याग्रह की जानकारी दी.
यह पहली बार नहीं है जब पंकज पुष्कर और पार्टी के विचार आपस में टकराये हो इससे पहले भी पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को डिग्री विवाद पर पार्टी लाइन से अलग जाकर कहा था कि इससे सरकार की छवि खराब हुई है. पार्टी ने उन्हें बचाने की कोशिश की जिसके लिए माफी मांगनी चाहिए. पुष्कर ने पहले यह आरोप भी लगाया था कि उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया जा रहा. उन्हें परेशान किया जा रहा है.
एक तरफ दिल्ली सरकार केंद्र पर आऱोप लगाती है कि उसे काम करने नहीं दिया जा रहा है हमें परेशान किया जा रहा है दूसरी तरफ दिल्ली सरकार अपने विधायकों के साथ भी यही व्यवहार कर रही है. तिमारपुर से विधायक पंकज पुष्कर ने कहा, दिल्ली सरकार साजिश कर रही है वह चाहती है कि उसके इलाके में कोई दूसरे लोग काम करे इसलिए दूसरे लोगों को यहां काम करने का आदेश दिया जा रहा है जबकि मैं अपने क्षेत्र के लिए काम कर रहा हूं.
पंकज पुष्कर को योगेन्द्र यादव के गुट का भी माना जाता है. जब पार्टी ने योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को बाहर का रास्ता दिखाया था तो उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की थी. अब पंकज पुष्कर एक बार फिर दिल्ली सरकार के खिलाफ मोरचा खोल रहे हैं. अनियमित कॉलोनी संगम विहार में सुविधाओं की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं.