‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने देश की अथव्यवस्था को गति दे सकने वाले महात्वाकांक्षी जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) बिल को लेकर अपना संकल्प आज संसद का मॉनसून सत्र बर्बाद हो जाने के बावजूद दोहराया. संसद सत्र खत्म होने के बाद और कांग्रेस के रवैये के विरुद्ध राष्ट्रपति भवन मार्च करने के बाद जेटली ने बकायदा एक प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि हम एक अप्रैल 2016 से देश में जीएसटी को लागू करने के प्रति संकल्पित हैं. उन्होंने यह संकल्प दोहराया कि नरेंद्र मोदी सरकार इस अहम बिल को संसद में पारित करवा लेगी.
अरुण जेटली ने कहा कि आज कैबिनेट की संसदीय मामलों की समिति में इस मुद्दे पर विचार हुआ, तमाम बिंदु पर बात हुई, लेकिन अभी कुछ पक्का निर्णय नहीं लिया गया है. उन्होंने सवालों के जवाब में कहा कि विशेष सत्र को लेकर अभी स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है. जेटली ने यह भी स्पष्ट किया कि हम जीएसटी पर अपनी रणनीति का खुलासा नहीं करेंगे.
उधर, भाजपा ने कांग्रेस व वाम दलों को जीएसटी व संसद को बाधित किये जाने के मुद्दे पर जनता के सामने बेनकाब करने की बात कही है. जेटली ने कहा कि हमारे एक-एक मंत्री और चार-चार सांसद कांग्रेस के जीते हुए सभी 44 लोकसभा क्षेत्रों और वाम दलों के जीते हुए सभी नौ लोक सभा क्षेत्रों में 25 सितंबर से दो अक्तूबर के बीच जन जागरण अभियान चलायेंगे और वहां के संसद में हंगामा करने वाले सांसदों को जनता के सामने बेनकाब करेंगे. जेटली ने अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि संसद का यह सत्र हम सबके लिए सबक है.
जेटली ने कहा कि जीएसटी बिल को पारित करवाने के लिए बहुत तैयारी की गयी थी और संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण इसके लिए देश की आधी विधानसभा से भी अनुमति लेनी होती है. उन्होंने कहा कि इसके आइटी सेल के लिए भी तैयारी करनी पड रही है. उन्होंने कहा कि इसके बाद पुन: विधायी कार्य करना होता है.
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में नरेंद्र मोदी सरकार अल्पमत में है. वहां उसे इस विधेयक को पारित करवाने के लिए सभी गैर कांग्रेस व गैर वाम दलों की मदद की जरूरत है और इसमें दो प्रमुख राजनीतिक दलों जदयू व अन्नाद्रमुक की भूमिका सबसे दिलचस्प है. दोनों के पास राज्यसभा में 12-12 सांसद हैं.