‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली: संसद की कार्यवाही सुचारु ढंग से चलाने की मांग को लेकर भारतीय कंपनी जगत की ओर से जारी ऑन-लाइन हस्ताक्षर अभियान की आलोचनाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि जनता, विद्यार्थियों और उद्यमियों सबको अपने विचार रखने की आजादी है.
जेटली ने कहा , ‘भारतीय लोकतंत्र और भारतीय संसद के सुचार संचालन में समाज के हर वर्ग का रुचि है. इस लिए मेरी राय में ऐसी सोच या विचार को खारिज किया जाना चाहिए कि संसद के बाहर का कोई व्यक्ति यह राय नहीं दे सकता कि संसद को सुचार रुप से चलना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि इस देश में निर्णय संसद के माध्यम से ही लिए जाते हैं. ‘‘उसी के अनुसार कानून बनाए जाते हैं, कानून में सुधार किये जाते हैं और इस तरह अर्थव्यवस्था में सुधार होता है.’ वित्त मंत्री ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘जो लोग अपने को गरीबों का मित्र बताते हैं वही विकास की राह में बाधाएं खडी कर रहे हैं.’उन्होंने संसद की कार्रवाई सुचार ढंग से चलाने की मांग को ‘‘ देश की आवाज ’’ बताया.
जनता दल (यू) के शरह यादव ने राज्य सभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि ‘‘भारतीय कंपनी जगत के हस्ताक्षर अभियान से यह आरोप साबित हो गया है कि यह सरकार पूंजीपतियों के लिए चल रही है.’’संसद के चालू सत्र में लगातार गतिरोध से निराश देश के उद्योग व्यापार जगत के 17,000 से अधिक लोगों ने इस अभियान में हस्ताक्षर किये हैं. इनमें राहुल बजाज, आदि गोदरेज और किरण मजूमदार-शा जैसी हस्तियां भी शामिल हैं.संसद के दोनों सदनों में गतिरोध के चलते जीएसटी विधेयक पारित कराने जैसी आर्थिक दृष्टि से बहुत ही महत्व पूर्ण कई पहलों में विलम्ब हो रहा है.