‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
चेन्नई : सिविल सोसाइटी के आलोचना के बाद मद्रास हाइकोर्ट ने पूर्व में सुनाये गये उस फैसले को वापस ले लिया हैं , जिसमे बलात्कार के मामले में मध्यस्तथा करने की बात कही गयी थी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि बलात्कार के मामलों में किसी तरह का मध्यस्तथा नहीं हो सकती. बालात्कारी से किसी तरह का समझौता महिलाओं के गरिमा के खिलाफ है. महिलाओं का देह उनके लिए मंदिर है.
जस्टिस पी देवादास ने आरोपी के अंतरिम जमानत को खारिज कर दिया और उसे महिला न्यायलय में आत्मसमर्पण करने के लिए कहा. मध्यस्तथा केंद्र के ऑफिसर इन चार्ज को निर्देश दिया गया है कि मध्यस्तथा संबंधित सारे गतिविधियों को बंद कर दिया जाए. बलात्कार पीड़ित ने मध्यस्तथा के फैसले पर आपत्ति जतायी थी और कहा था कि वह कैसे उस इंसान के साथ रह सकती है जिसने उसके साथ बलात्कार किया.