‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
अरुणा शानबाग, 42 वर्षों तक कोमा में रहने के बाद पिछले महीने 18 मई को मौत की आगोश में समा गयी. उसकी मौत के बाद मीडिया ने उस व्यक्ति की तलाश की जो उसे इस हालत में पहुंचाने का दोषी था और जिसे सात साल की कैद भी हुई थी. जब मीडिया ने सोहनलाल वाल्मीकि से यह सवाल किया कि क्या उसे अरुणा शानबाग की मौत का पता है, तो उसने कहा, हां पता है और इसका दुख भी है.
अरुणा के साथ बलात्कार की बात को सोहनलाल ने सिरे से नकार दिया और कहा कि मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया था, हालांकि मैंने इसके लिए सजा काटी.सोहनलाल वाल्मीकि उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के एक गांव में रहता है और एनटीपीसी में काम करता है. वह अपने ससुराल वालों के साथ रहता है. गांव वालों ने बताया कि वह पिछले30-32 वर्ष से यहां रह रहा है और उसका आचरण सज्जन व्यक्तियों वाला ही है. वह कभी गलत काम का हिस्सा नहीं बनता है. सोहनलाल की पुत्रवधू ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा, उन्हें गलत बात में फंसाया गया है. उस अपराध की सजा दी गयी है, जो उन्होंने किया ही नहीं था.
ज्ञात हो कि सोहनलाल वाल्मीकि मुंबई के उसी अस्पताल में वार्ड ब्वॉय का काम करता था, जहां अरुणा शानबाग नर्स थी. रात को इसने अरुणा के साथ बलात्कार किया और उस दौरान उसकी गर्दन को कुत्ते की जंजीर से बांधकर रखा था, जिसके कारण मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की पहुंच रूक गयी और अरुणा कोमा में चली गयी. इस घटना के बाद अरुणा पिछले 42 साल से उसी अस्पताल में थी. सोहनलाल को हत्या की कोशिश और लूटपाट का दोषी बताकर सात साल की सजा सुनायी गयी थी, उसपर बलात्कार का केस नहीं चला था, जबकि उसी की वजह से अरुणा कोमा में चली गयी थी.