चेन्नई : आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी होने के बाद अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता के फिर से मुख्यमंत्री बनने की अटकलें लगायी जा रही हैं. पर, इस पद तक पांचवी बार पहुंचने की उनकी राह बहुत आसान भी नहीं है. सूत्रों का कहना है कि अन्नाद्रमुक की नजर इस बात पर टिकी है कि आय से अधिक संपत्ति मामले में कर्नाटक सरकार क्या कदम उठाती है. शायद इसलिए वे सीएम पद पर काबिज होने के लिए जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहती हैं. उधर, भाजपा नेता सुब्रहण्यम स्वामी ने भी जयललिता के खिलाफ नये सिरे से मोर्चा खोलने की बात कही है.
वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आज कहा है कि कर्नाटक सरकार जे जयललिता के खिलाफ विपक्ष के पुन: अपील करने की मांग की जांच करेगी और उसके बाद निर्णय लेगी. उल्लेखनीय है कि कर्नाटक हाइकोर्ट के फैसले के बाद बेंगलुरु में सरकारी वकील आचार्य ने भी मंगलवार को संपत्ति गणना में हुई चूक की बात कही थी. प्रमुख विपक्षी दल डीएमके व पीएमके ने इसे मुद्दा बना दिया है और कर्नाटक सरकार पर इसको लेकर दबाव बनाये हुए है, ताकि जयललिता पर एक बार फिर कानूनी शिकंजा कसा जा सके.
इस बीच आज दोपहर बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने जयललिता के पॉश गार्डन स्थित आवास पर उनसे मुलाकात की है. इस मुलाकाता के दौरान सरकार के सभी 19 कैबिनेट मंत्री भी उनके साथ थे. हालांकि इस मुलाकात का अबतक आधिकारिक ब्यौरा नहीं मिल सका है. लेकिन, कहा जा रहा है कि इसमें जयललिता को पुन: मुख्यमंत्री बनाये जाने के मुद्दे पर चर्चा हुई है. वहीं, अन्नाद्रमुक के कानूनी सूत्रों के हवाले से आकाशवाणी ने खबर दी है कि कर्नाटक सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है, उसी पर उनका मुख्यमंत्री बनना या नहीं बनना निर्भर करेगा.
ताजा राजनीतिक हालात के मद्देनजर अन्नाद्रमुक के सभी 151 विधायक चेन्नई में डटे हुए हैं. वे इस आस में हैं कि पार्टी कभी भी बैठक बुला सकती है, जिनमें उनकी लोकप्रिय नेता जयललिता को औपचारिक तौर पर एक बार फिर विधायक दल का नेता चुना जा सकता है. उधर, आज पार्टी ने जयललिता पर लगाये जा रहे आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उन्होंने हमेशा उचित टैक्स का भुगतान किया है. उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व सोमवार को उनहें कर्नाटक हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी किया था. मालूम हो कि इससे पहले पिछले साल उन्हें कर्नाटक की एक निचली अदालत ने चार साल की जेल व 100 करोड जुर्माना की सजा सुनायी थी, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री सहित विधायक का पद छोडना पडा था.