नयी दिल्ली : परियोजना की शुरुआत के तीन दशक से भी अधिक समय बाद आज सतह से हवा में मार करने वाली सुपरसोनिक मिसाइल आकाश को सेना में शामिल कर लिया गया. यह मिसाइल दुश्मन के हेलीकॉप्टरों, विमानों और मानवरहित विमानों को 25 किलोमीटर दूर से निशाना बना सकती है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित की गई मिसाइलें सैन्य वायु रक्षा कोर के लिए खास प्रोत्साहन का काम करेंगी. यह कोर वर्षां से पुराने वायु रक्षा हथियारों के साथ काम कर रही है. सेना के प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने औपचारिक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा, इस प्रणाली के साथ हमें जो क्षमता हासिल हुई है, वह हमारे बल की कमियों को दूर करेगी. आकाश स्वदेशीकरण की ओर एक कदम है. उन्होंने कहा कि सेना सैन्य वायु रक्षा के कमान और नियंत्रण तथा युद्ध क्षेत्र प्रबंधन व्यवस्था के नवाचार की प्रक्रिया में है.
आकाश मिसाइल प्रणाली स्वदेशी तौर पर विकसित ऐसी मिसाइल है, जो सतह से हवा में छोटी दूरी तक वार कर सकती है. इसमें विमानों, हेलीकॉप्टरों और मानवरहित विमानों जैसे विभिन्न हवाई खतरों पर अधिकतम 25 किलोमीटर की दूरी पर और 20 किलोमीटर तक की उंचाई पर वार करने की क्षमता है.