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मोगा की घटना : पिता ने मुआवजा स्वीकारा, पीडिता का अंतिम संस्कार संपन्न

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मोगा (पंजाब) : चलती बस में छेडछाड के बाद धकेले जाने के कारण जान गंवाने वाली किशोरी के पिता ने पंजाब सरकार की मुआवजा एवं रोजगार की पेशकश आज स्वीकार कर ली और मृतका के शव का पोस्टमार्टम तथा उसका अंतिम संस्कार करने पर सहमत हो गये, जिसके बाद घटना को ले कर चार दिन […]

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मोगा (पंजाब) : चलती बस में छेडछाड के बाद धकेले जाने के कारण जान गंवाने वाली किशोरी के पिता ने पंजाब सरकार की मुआवजा एवं रोजगार की पेशकश आज स्वीकार कर ली और मृतका के शव का पोस्टमार्टम तथा उसका अंतिम संस्कार करने पर सहमत हो गये, जिसके बाद घटना को ले कर चार दिन से चला आ रहा विरोध समाप्त हो गया. किशोरी का आज रात अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस घटना को लेकर सत्तारुढ बादल परिवार को गहरी शर्मिन्दगी का सामना करना पडा. किशोरी के शव का आज रात करीब आठ बज कर 35 मिनट पर उसके गांव लांदेके में कडी सुरक्षा के बीच अंतिम संस्कार कर दिया गया.

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मुखाग्नि उसके पिता ने दी जिन्होंने कहा कि गतिरोध दूर करने के लिए राज्य सरकार से कोई समझौता नहीं हुआ. बुधवार को मोगा में हुए इस हादसे को लेकर शर्मिन्दगी और आलोचना का सामना कर रहे मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मृतक के पिता और परिवार के अन्य सदस्यों से आज शाम मुलाकात की और उनके साथ करीब 30 मिनट बिताए. बादल ने घटना को ‘असहनीय’ और ‘पीडादायी’ बताया जबकि पुलिस ने कहा कि चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. मृतक के पिता ने संवाददाताओं को बताया ‘मैं यह आग्रह करना चाहता हूं कि मैं अपनी पुत्री का अंतिम संस्कार करना चाहता हूं.’

उन्होंने यह भी कहा कि वह बिना किसी दबाव के, पोस्टमार्टम कराने के लिए सहमत हुए. किशोरी के पिता पूर्व में उसका अंतिम संस्कार करने से यह कहते हुए मना कर रहे थे कि जब तक उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और ऑर्बिट एवियेशन के अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जाता, तब तक वह अपनी बेटी का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. पीडित के पिता ने ऑर्बिट एवियेशन बस सेवा का लाइसेंस रद्द करने की मांग भी की थी. सुखबीर इस बस कंपनी के मालिकों में से एक हैं. किशोरी के पिता अपनी मांग पर जोर देने के लिए कुछ स्थानीय राजनीतिज्ञों के साथ धरने पर बैठे थे.

उन्होंने कहा ‘राज्य सरकार ने हमें जो पेशकश की है वह मुझे स्वीकार है. उन्होंने (राज्य सरकार ने) हमारी मांगें पूरी कीं और आश्वासन दिया कि मेरी बेटी के हत्यारों को सजा दी जाएगी.’ क्षतिपूर्ति के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें राशि के बारे में पता नहीं है. ‘मैं नहीं कह सकता कि कितनी क्षतिपूर्ति है. जो भी मुझे दिया जा रहा है वह मेरे लिए पर्याप्त है. मुझे खुशी है कि मैं अपनी बेटी के साथ यहां से जाउंगा.’ पूर्व में सरकार ने 20 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति और घायल मां के लिए नौकरी, उसका मुफ्त इलाज किए जोन की पेशकश की थी और यह भी कहा था कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालत में होगी.

लेकिन पीडित के परिवार ने पेशकश ठुकरा दी थी. मोगा के उपायुक्त परमिंदर सिंह गिल ने कहा कि जिला प्रशासन के बजाय बस की मालिक कंपनी ऑर्बिट एवियेशन पीडित परिवार को 24 लाख रुपये का मुआवजा देगी. रकम रेड क्रॉस मोगा में जमा की जाएगी जहां से इसे प्रभावित परिवार को दिया जाएगा. लडकी के पिता ने घटना को लेकर जारी विरोध खत्म भी करना चाहा. ‘यह विरोध खत्म होना चाहिए. मेरी बेटी की पहले ही मौत हो चुकी है. अगर मेरी पत्नी, जो अस्पताल में है, की मौत भी हो जाती है तो मेरे जीवन का क्या उपयोग रह जाएगा. मैं अब सामान्य जीवन जीना चाहता हूं.’

अपना साथ देने वालों को धन्यवाद देते हुए पिता ने कहा ‘सरकार सहित किसी ने भी, या किसी भी अधिकारी ने (मुआवजे के लिए) मुझे कभी नहीं धमकाया.’ आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि किशोरी का शव सिंघपुरा गांव में शवगृह में रखा था. सुरक्षा की दृष्टि से उसे पोस्टमार्टम के लिए यहां से 55 किमी दूर फरीदकोट में गुरु गोविंदसिंह मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल ले जाया गया. पोस्टमार्टम शाम सात बजे पूरा हुआ जिसके बाद पुलिस अंतिम संस्कार के लिए शव को लंबे रास्ते से ले गई ताकि कानून व्यवस्था की समस्या न हो. लडकी की मां घायल है और सिविल अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया है.

अंतिम संस्कार के समय वह भी मौजूद थी. पंजाब कांग्रेस के प्रमुख प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस सांसद संतोख चौधरी, पूर्व विधायक मालती थापर और कांग्रेस नेता इंद्रजीत सिंह जीरा भी वहां थे. सत्तारुढ दल का कोई भी सदस्य अंतिम संस्कार में उपस्थित नहीं हुआ, यहां तक कि स्थानीय विधायक भी नहीं. बहरहाल, जब अंतिम संस्कार हो रहा था तब कांग्रेस और पीपीपी कार्यकर्ता वहां से बाहर जा कर पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. लडकी के परिजनों और सरकार के बीच गतिरोध शाम को दूर हुआ जब वरिष्ठ नागरिक और पुलिस अधिकारियों ने पीडित के परिजनों से मुलाकात की.

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने परिवार पर जबरन अपना निर्णय थोपा. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार तब सहमत हुआ जब उसे जांच में प्रगति और चारों आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना दी गई. जिला प्रशासन ने परिवार को 24 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की घोषणा की थी. इसमें से चार लाख रुपये परिवार के पुत्र की शिक्षा के लिए होंगे. इसके अलावा पंजाब के अनुसूचित जाति पिछडा वर्ग आयोग ने छह लाख रुपये उन्हें देने की घोषणा की थी. लडकी की घायल मां को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई थी.उसके इलाज पर हो रहे खर्च का वहन सरकार करेगी.

विपक्षी दलों ने मांग की कि मुआवजे की राशि बस मालिकों द्वारा दी जानी चाहिए न कि भुगतान सरकारी कोष से किया जाना चाहिए. घटना को लेकर, खास कर किसी भी कैबिनेट मंत्री के मोगा में पीडित के परिवार से मिलने के लिए न जाने को लेकर राज्य सरकार की आप और कांग्रेस सहित कई पक्षों द्वारा आलोचना की गई थी. इस बीच, मामले को सही तरीके से हल न करने को लेकर आलोचनाओं से घिरी पंजाब पुलिस के एडीजीपी इकबाल सिंह सहोता ने आज पीडित के परिजनों से मुलाकात की और उनके पुत्र को आरोपियों की शिनाख्त परेड के लिए ले गए.

राज्य सरकार द्वारा हाल ही में गठित ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के निदेशक सहोता ने परिवार वालों को आश्वासन दिया कि इस मामले की समुचित जांच होगी. घटना के समय बस में किशोरी और उसकी मां के साथ मौजूद लडके का बयान दर्ज न करने के लिए पुलिस की जम कर आलोचना हुई. इस बीच मुख्यमंत्री ने प्रभावित परिवार को आश्वासन दिया कि उन्हें इन्साफ मिलेगा. किशोरी की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जान जाने की कोई भी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती.

पंजाब के मुख्यमंत्री के (राष्ट्रीय मामलों और मीडिया) सलाहकार हरचरण बैंस ने आज चंडीगढ में कहा ‘मुख्यमंत्री मोगा संकट की खुद निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने आश्वासन दिया है कि परिवार को न्याय मिलेगा.’ पुलिस ने हालांकि कहा कि बस मालिकों के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नहीं किया जा सकता. ‘कानून हमें उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति नहीं देता जिसे अपराध की कोई जानकारी न हो.’ जिला प्रशासन ने कल बस मालिकों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध करने की संभावना खारिज करते हुए कहा था कि कानूनी तौर पर यह संभव नहीं है.

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