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मसर्रत मामला : राजनाथ ने मुफ्ती से की बात, शिवसेना बोली- भाजपा करे कार्रवाई

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श्रीनगर: पांच साल के अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने बुधवार को कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी को श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक जनसभा करने की इजाजत दी. इस जनसभा में पिछले महीने जेल से रिहा हुए मसर्रत आलम सहित गिलानी के समर्थकों ने पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाए और पाकिस्तानी झंडे […]

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श्रीनगर: पांच साल के अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने बुधवार को कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी को श्रीनगर के बाहरी इलाके में एक जनसभा करने की इजाजत दी. इस जनसभा में पिछले महीने जेल से रिहा हुए मसर्रत आलम सहित गिलानी के समर्थकों ने पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाए और पाकिस्तानी झंडे लहराए.

सर्दी का मौसम दिल्ली में बिताने के बाद यहां लौटे गिलानी को आलम की अगुवाई में निकाले गए एक जुलूस में हवाई अड्डे से उनके आवास तक ले जाया गया. इस बीच, आलम के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मर्सरत के पाकिस्तान समर्थन नारे को लेकर यूथ कांग्रेस ने बेंगलुरू में प्रदर्शन किया. वहीं भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा है कि यह भाजपा की जिम्मेवारी है. भाजपा को इसपर कार्रवाई करनी चाहिए. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमने मर्सरत की रिहाई के वक्त ही प्रश्‍न उठाये थे. अब उसकी रिहाई का असर दिख रहा है.

मसर्रत के इस रवैया से केंद्र सरकार नाराज है और उसने इस मामले पर कार्रवाई को कहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने फोन कर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से बात की है और उन्हें मसर्रत को तुरंत गिरफ्तार करने को कहा है.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कल रात जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से बात की और स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे से समझौता नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने सिंह को बताया कि रैली में क्या हुआ था और वहां क्या स्थिति थी.

उनके मुताबिक, सिंह ने सईद से कहा कि ‘‘ऐसे किसी भी कदम को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता जिसे राष्ट्रविरोधी करार दिया जा सकता है.’’ गृह मंत्री ने निर्देश दिया कि जो लोग इसमें लिप्त थे उनके खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई की जानी चाहिए. पांच साल के अंतराल के बाद, जम्मू कश्मीर सरकार ने कल गिलानी को रैली करने की अनुमति दी थी जहां जेल से पिछले माह रिहा हुए मसर्रत आलम सहित उनके समर्थकों ने पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए और अन्य ने पाकिस्तानी झंडे लहराए.

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी की गठबंधन सहयोगी भाजपा ने इस घटना पर कडी प्रतिक्रिया जाहिर की. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि राज्य सरकार से कहा गया है कि कानून तोडने वालों पर वह कार्रवाई करे.

भाजपा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि यदि इस घटना से वह इतनी ही चिंतित है तो उसे गठबंधन तोड देना चाहिए. पीडीपी-भाजपा के पिछले महीने राज्य की सत्ता में आने के तुरंत बाद रिहा हुए आलम ने श्रीनगर हवाई अड्डे से हैदरपुरा स्थित गिलानी के आवास तक मार्च की अगुवाई की.

हुर्रियत कांफ्रेंस से अलग होने के बाद सभी पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी पार्टियों के साथ अपना संगठन बनाने वाले गिलानी ने आत्म-निर्णय के अधिकार की बात की और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद में उनके भाषण का सीधा प्रसारण किया गया.

हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रवक्ता अयाज अकबर ने कहा, ‘‘यह (गिलानी के भाषण का प्रसारण) पीओके में एक अर्ध-सरकारी संगठन के साथ की गई व्यवस्था से हुआ.’’ उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब पाकिस्तान और गिलानी के समर्थन के साथ-साथ 45 साल के मसर्रत आलम के समर्थन में भी नारे लगाए जाने लगे.

संवाददाताओं से बातचीत में आलम ने इन बातों को नकारा कि वह गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल हो रहा है. पाकिस्तानी झंडे लहराने वाले नौजवानों के एक समूह की ओर इशारा करते हुए आलम ने कहा, ‘‘हम तो बस कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को बढावा दे रहे हैं. उनके हौसले को देखिए.’’ साल 2010 में गर्मी के मौसम में श्रीनगर में हुए प्रदर्शन के बाद गिलानी की यह पहली जनसभा थी. साल 2010 के प्रदर्शन में 100 से ज्यादा नौजवान मारे गए थे. पूरे प्रदर्शन में आलम ने अहम भूमिका निभाई थी और हडतालों के लिए साप्ताहिक कार्यक्रम जारी किया करता था.

हुर्रियत के झंडों के अलावा कुछ समर्थकों के हाथों में पाकिस्तानी झंडे भी देखे गए. उन्होंने पाकिस्तान समर्थक और आजादी समर्थक नारे भी लगाए. जनसभा को संबोधित करते हुए गिलानी ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सीमा विवाद नहीं है बल्कि राज्य के एक करोड लोगों का मुद्दा है.

गिलानी ने कहा, ‘‘हम यथास्थिति स्वीकार नहीं करेंगे और आत्म-निर्णय का अधिकार हासिल करने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा. हम शिमला समझौता या लाहौर घोषणा-पत्र स्वीकार नहीं करेंगे.’’

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