‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुंबई: सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुन: वित्तपोषण एजेंसी (मुद्रा) योजना को केंद्रित करते हुए शिवसेना ने केंद्र से सवाल किया कि परेशान किसानों को कब मदद मिलेगी और सरकार की इनकी आत्महत्या पर किस तरह से रोक लगाने की योजना है. कृषि एवं सूक्ष्म उद्यमों को मदद प्रदान करने के उद्देश्य से शिवसेना ने यह सवाल उठाया.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है ‘ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात के कारण किसान त्रस्त हैं. हम उनको हुए नुकसान का आकलन कितनी बार करेंगे और कितनी बार हम सरकार से मदद मांगेंगे.’ पार्टी ने कहा ‘यह कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री की ओर से शुरू की गई ‘मुद्रा’ से किसानों को मदद मिलेगी.
लेकिन इस योजना के तहत किसानों को मदद कब मिलनी शुरू होगी ?’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले सप्ताह मुद्रा योजना पेश की थी जो एमएफआई रिण का पुन: वित्तपोषण करेगी जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गहरी पैठ के साथ साथ किसानों की मदद हो सकेगी.
राज्य में किसानों की स्थिति का उल्लेख करते हुए शिवसेना ने पूछा कि सरकार किस तरह से उनकी पीडा को समाप्त करने की योजना बना रही है.