‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
लखनऊ: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सबको साथ लेकर चलने की चाह को भारत का मूल चरित्र बताते हुए जाति पंथ और मजहब के नाम पर नफरत फैलाने की किसी भी कोशिश को निंदनीय करार दिया है. सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र में आज शाम अंग्रेजी माध्यम के एक निजी विद्यालय की नयी शाखा भवन का उद्घाटन करते हुए कहा ‘‘जाति पंथ और मजहब के नाम पर समाज में नफरत पैदा करने की कोई भी कोशिश निंदनीय है.’’
गृहमंत्री ने कहा ‘‘भारत दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है जहां मुसलमानों के सभी 72 फिरको और ईसाइयों के सभी पंथों के लोग रहते हैं. ऐसा इसलिए है कि सबको साथ लेकर चलना भारत का मूल चरित्र है.’’ उन्होंने विद्यालय के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि भले ही इस विद्यालय में पठन पाठन का माध्यम अंग्रेजी हो. यहां से निकलने वाले छात्रों को हिन्दी भाषा में भी पारंगत होना चाहिए ताकि वे अपनी मूल जडों से जुडे रहें.
यह कहते हुए कि आधुनिक शिक्षा कहीं न कहीं हमें अपनी जडों से काट रही है, गृहमंत्री ने कहा कि अंग्रेजी का ज्ञान तो ठीक है. मगर सभी देशी भाषाओं का भी विकास होना चाहिए ताकि हम अपने सांस्कृतिक जडों से जुडे रहें.उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान अर्जित करना चाहिए मगर अपनी मातृभाषा का ज्ञान परम आवश्यक है.
सिंह ने कहा ‘‘हेलो हाय और बाय बाय का चलन हमें अपनी जडों से काट रहा है और हम माता पिता का चरण छूना भूलते जा रहे है. यह प्रवृत्ति घातक है इससे बचने की जरुरत है.’’ उन्होंने बताया कि हम पर शासन करने के लिए अग्रेजों ने मैकाले की शिक्षा नीति लागू करके हमें हमारी सांस्कृतिक जडों से काट दिया था. हमें अब आगे ऐसा नहीं होने देना है. समारोह को लखनउ के महापौर दिनेश शर्मा ने भी संबोधित किया.