नयी दिल्‍ली : टेलिकॉम रेग्‍युलेरिटी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई ने मोबाइल की कॉल रेट कम करने का भारत सरकार का दावा गलत साबित कर दिया है. हाल ही में हुए स्‍पेक्‍ट्रम नीलामी के भारत सरकार ने दावा किया था स्‍पेक्‍ट्रम ऑक्‍शन के बाद से कॉल रेट में अधिकतम 1.3 पैसे की वृद्धि होगी.
उपभोक्‍ता के कंधे पर अतिरिक्‍त बोझ
ट्राई सरकार के इस दावे से सहमत नहीं है ट्राई का मानना है कि स्‍पेक्‍ट्रम नीलामी के बाद स्‍पेक्‍ट्रम कॉस्‍ट में 12 से 15 फीसदी का इजाफा होगा. मोबाइल नेटवर्क प्रदाता कंपनि‍यां खुद पर पड़े इस बोझ को उपभोक्‍ताओं से वसूलेगी. जिसके चलते मोबाइल कॉल रेट में इससे ज्‍यादा की बढ़ोतरी होगी.
कॉल रेट में 6 से 7 पैसे का होगा इजाफा
स्‍पेक्‍ट्रम नीलामी के बाद पहली बार एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्‍यू में ट्राई के चेयरमैन राहुल खुललर ने बताया कि टेलीकॉम कपनियां बढ़ी हुई कीमत का भार सीधे कंज्यूमर केकंधे पर डालेगी जिससे कॉल रेट में 6 से 7 पैसे प्रति मिनट का इजाफा हो सकता है. हालांकि ये वृद्धि धीरे-धीरे होगी.
कम स्‍पेक्‍ट्रम खराब वॉयस औरस्‍लोइंटरनेट सर्विस के लिए जिम्‍मेदार
खुल्‍लर ने कॉलरेट में वृद्धि का जिम्‍मेदार सीधा सरकार को ठहराते हुए कहा कि सरकार ने नीलामी में ज्‍यादास्‍पेक्‍ट्रमऑफर नहीं किये थे.
जिससे अस्तित्‍व में रहने के लिए टेलिकॉम कंपनियों को अग्रेसिव बिडिंग करके ज्‍यादा बोली लगानी पड़ी. उन्‍होंने बताया कि कम स्‍पेक्‍ट्रम होने के वजह से वॉयसकॉल और इंटरनेट स्‍पीड की क्‍वालिटी खराब होती है.
वोडाफोन, आइडिया, एयरटेल और रिलायंस कंपनियों ने लगायी बोली
25 मार्च को खत्‍म हुई स्‍पेक्‍ट्रम नीलामी में वोडाफोन, आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जैसी कंपनियों ने बोली लगायी थी क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं करते तो सर्किल्स में उनकी सेवाएं बाधित हो सकती थीं.
900 मेगाहट्ज बैंड सर्किल्स में सर्विस जारी रखने के लिए इन कंपनियों ने बोली लगायी थी. इन टेलीकॉम सर्विसों के लाइसेंस 2015-16 में एक्सपायर होने वाले थे. जीएसएम की इंडस्‍ट्री लॉबी ने अनुमान लगाया था कि स्‍पेक्‍ट्रम नीलामी के बाद इंडस्‍ट्री पर कर्ज बढ़कर 3,50,000 करोड़ रुपये से ज्‍यादा हो जाएगा.