‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मसूरी : छोटी मोटी नौकरियों में हेरफेर की बात तो आये दिन सामने आती ही रहती है, लेकिन देश के सर्वोच्च सेवा आइएएस में अगर गडबडी की बात सामने आये तो हम आप दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो जाते हैं. ऐसे ही एक सनसनीखेज मामले का खुलासा मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक राष्ट्रीय प्रशासनिक आकादमी में हुआ है. यहां आइएएस व अन्य शीर्ष सेवाओं के लिए चयनित लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है.
उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के कुटवा गांव निवासी सत्यवीर सिंह की बेटी रुबी चौधरी यहां फर्जी एसडीएम बन कर प्रशिक्षण ले रही थी और संस्थान में बेरोक टोक घूमती थी. जब इस मामले का खुलासा हुआ तो वह पहले तो गायब हो गयी, फिर मीडिया के सामने आकर कहा कि उसने इसके लिए पांच लाख रुपये संस्थान के एक अधिकारी को दिया था.
रुबी के अनुसार, इस मामले का खुलासा होने पर संबंधित लोगों ने फंस जाने के डर से उसे पांच करोड रुपये रिश्वत देने की पेशकश की गयी है. उसने कहा है कि अगर उसका दोष है तो उसे जेल भेज दिया जाये, लेकिन वास्तविक दोषियों पर भी कार्रवाई हो. फिलहाल उस पर एफआइआर दर्ज कर ली गयी है. वह फर्जी आइएएस बन कर सितंबर 2014 से वहां रह रही थी. उसका कहना है कि उसने पांच लाख रुपये देकर आइ कार्ड बनवाया था.