IAS अशोक खेमका का स्थानांतरण मुद्दा : जिससे थी दवा की उम्मीद, उसी ने दिया दर्द
चंडीगढ : हरियाणा के चर्चित आइएएस अधिकारी का एक बार स्थानांतरण कर दिया गया है. उन्हें राज्य की मनोहर खट्टर सरकार ने परिवहन से पुरातत्व विभाग में भेज दिया गया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि उनकी प्रोन्नति की गयी है. वहीं, खेमका का कहना है कि जिस पद को उनकी प्रोन्नति […]
चंडीगढ : हरियाणा के चर्चित आइएएस अधिकारी का एक बार स्थानांतरण कर दिया गया है. उन्हें राज्य की मनोहर खट्टर सरकार ने परिवहन से पुरातत्व विभाग में भेज दिया गया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि उनकी प्रोन्नति की गयी है. वहीं, खेमका का कहना है कि जिस पद को उनकी प्रोन्नति बताया जा रहा है, वह पद से 16 साल को नौकरी में ही मिल जाती है, लेकिन वे तो 22 साल की नौकरी पूरी कर चुके हैं.
22 साल की नौकरी में उनका 44वां ट्रांसफर किया गया है. यानी एक पद पर खेमका का कार्यकाल छह महीने से अधिक लंबा नहीं रहता है. तो ऐसे में सहज ही सवाल उठता कि क्या सरकारें अशोक खेमका की कार्यप्रणाली से डरती हैं?
Tried hard to address corruption and bring reforms in Transport despite severe limitations and entrenched interests. Moment is truly painful
— Ashok Khemka (@AshokKhemka_IAS) April 1, 2015
ध्यान रहे कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने हमेशा अशोक खेमका की तारीफ की और उनके खुलासों के आधार पर रॉबर्ट वाड्रा की जोरदार घेराबंदी करती रही. ऐसे में वे यह उम्मीद जरूर पाले हुए होंगे कि भाजपा के सत्ता में आने पर उन्हें बेहतर काम करने का मौका मिलेगा, लेकिन सात ही महीने में उनका स्थानांतरण कर दिया गया. ऐसे में तो यही कहावत चरितार्थ होती है कि जिससे थी दवा की उम्मीद, उसी ने मुङो दर्द दिया.अब इस मुद्दे पर हरियाणा सरकार के कद्दावर मंत्री अनिल विज खेमका के समर्थन में आ गये हैं.
खेमका ने कहा यह सचमुच दुखद
अपने तबादले को लेकर खेमका ने ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने लिखा है कि मैंने परिवहन विभाग को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए मुहिम छेड़ी थी. मैं वहां कुछ बदलाव लाना चाहता था. इस दौरान मेरा तबादला कर दिया गया. यह सचमुच दुख भरी खबर है. आपको बता दें कि नवंबर 2014 में खेमका को तत्कालीन हुड्डा सरकार ने खेमका का तबादला परिवहन विभाग में कर दिया था.
प्रशासनिक सेवा में बडे खुलासे
खेमका ने अपने दो दशक लंबी सरकारी सेवा में कई खुलासे किये हैं. इस कारण उन्हें जान से मारने की भी धमकियां मिलती रहीं, लेकिन वे अपने इरादे से डिगे नहीं. उनके खुलासों के आधार भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ भूमि खरीद मामले में जांच शुरू हुई. हालांकि उन्हें अपनी कार्यप्रणाली के कारण खुद भी परेशानियां का सामना करना पडा. जैसे हरियाणा बीज निगम में रहते हुए घटिया बीज क्रय मामले में उन्हीं पर आरोप लगे, जबकि सामान्यत: इस तरह के कार्य बडे तंत्र व गठजोड के माध्यम से हमेशा चलते रहते हैं. अब जब वे परिवहन विभाग में सुधार की गाडी को पटरी पर लाने की कोशिश में लगे थे, तब उन्हें वहां से हटा दिया गया. यह बात हर कोई जानता है कि परिवहन विभाग में बडी गडबडियां होती हैं. वहां सुधारवादी व्यक्ति की जरूरत भी होती है. पर, अब उन्हें एक ऐसे विभाग का काम सौंप दिया गया है जिसमें करने को बहुत कुछ नहीं होता है.