निम्‍न और मध्‍यम आय वाले देशों में डायबीटीज का ज्‍यादा खतरा

नयी दिल्‍ली : एक अध्‍ययन से पता चला है कि भारत में लोग हर साल करीब 35,986 रुपये डायबीटीज के इलाज में व्‍यय करते हैं और यह खर्च कभी कभी इससे कहीं ज्‍यादा तक पहुंच जाता है. डायबीटीज के वज‍ह से उन्‍हें पूरी दुनिया में रोजगार पाने में भी दिक्‍कतें आती हैं. यह अध्‍ययन ईस्‍ट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2015 11:23 AM
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नयी दिल्‍ली : एक अध्‍ययन से पता चला है कि भारत में लोग हर साल करीब 35,986 रुपये डायबीटीज के इलाज में व्‍यय करते हैं और यह खर्च कभी कभी इससे कहीं ज्‍यादा तक पहुंच जाता है. डायबीटीज के वज‍ह से उन्‍हें पूरी दुनिया में रोजगार पाने में भी दिक्‍कतें आती हैं. यह अध्‍ययन ईस्‍ट एंगलिया विश्‍वविद्यालय और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और यार्क विश्‍वविद्यालय का सेंटर फॉर हेल्‍थ इकोनॉमिक्‍स और सेंटर फॉर डाइट एंड एक्टिवीटी रिसर्च ने साथ मिलकर किया है.
इस अध्‍ययन से पता चला है कि डायबीटीज के नये मामलों में करीब दो तिहाई मामले कम और मध्‍यम आय वाले देशों जैसे चीन, भारत, मैक्सिको और इजिप्‍ट जैसे देशों में है. मंगलवार को फार्मा इकोनॉमिक्‍स जरनल में छपे अध्‍ययन के अनुसार डायबीटीज के कारण लोग पूरी दुनिया में रोजगार के अवसर से वंचित रह जाते हैं. जबकि इसका असर महिलाओं के रोजगार पर अपेक्षाकृत कम पड़ता है.
डायबीटीज के कारण दुनिया भर में 382 मिलियन लोग प्रभावित हो रहे हैं. अध्‍ययन के मुताबिक 2035 तक करीब 592 मिलियन लोग इस बीमारी से प्रभावित होंगे. शोधकर्ता ने अपने एक कथन में बताया कि तेजी से हो रहे शहरीकरण, खानापान में परिवर्तन और रहन सहन में अचानक परिवर्तन से डायबीटीज का खतरा बढ़ रहा है.
निम्‍न और मध्‍यम आय वाले देशों में आजीविका चलाने का बोझ और आय अधिक खर्चों से यहां डायबीटीज की शिकायत अधिक पायी जाती है. शोधकर्ताओं के अनुसार डायबीटीज के इलाज में किया गया खर्च समय के साथ और अधिक बढ़ सकता है जो बाद में लोगों की आर्थिक स्‍थिति पर भी प्रभाव डाल सकता है इसीलिए शुरुआत में ही इसके इलाज में खर्च करके बीमारी को ठीक करना सही है.
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