खान व खनिज बिल का प्रवर समिति में जाना तय
नयी दिल्लीः राज्यसभा में मंगलवार को सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच चली लंबी बहस के बाद सरकार को झुकना पड़ा और खान व खनिज विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का निर्णय किया गया. रास में पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण सरकार ने विपक्ष द्वारा लाये गये संशोधन को टालने का प्रयास किया. […]
नयी दिल्लीः राज्यसभा में मंगलवार को सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच चली लंबी बहस के बाद सरकार को झुकना पड़ा और खान व खनिज विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का निर्णय किया गया. रास में पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण सरकार ने विपक्ष द्वारा लाये गये संशोधन को टालने का प्रयास किया. सरकार ने खान व खनिज (विकास व विनयमन) विधेयक पेश किया है, क्योंकि इससे पहले इस संबंध में अध्यादेश जारी किया गया था.
सदन में जैसे ही माकपा के पी राजीव ने इस विधेयक में संशोधन के प्रस्ताव पर मतदान कराने पर बल दिया, सदन के नेता अरुण जेटली ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि मामले को प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव निष्प्रभावी हो गया है, क्योंकि राजीव का नाम प्रवर समिति के लिए प्रस्तावित किया गया है.
विधेयक को प्रवर समिति में भेजने को लेकर आनंद शर्मा, अश्विनी कुमार व जेटली ने अपने तर्को के पक्ष में तमाम नियमों एवं व्यवस्थाओं का हवाला दिया. विधेयक पेश किये जाने के मामले पर भोजनावकाश के बाद से ही चर्चा शुरू हुई, जो करीब पांच घंटे से अधिक चली. चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस, अन्नाद्रमुक और बीजद ने इसका समर्थन किया जबकि कांग्रेस और वाम सहित अन्य विपक्षी दल इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग पर अड़े थे. जदयू के शरद यादव ने कहा कि संस्थाएं मुश्किल से खड़ी होती हैं और स्थायी समिति ‘लघु संसद’ होती है.सदन की भावना है कि इसे प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए. सुझाव दिया कि एक समय-सीमा निर्धारित कर विधेयक प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए.
उपसभापति ने दी व्यवस्था : बाद में उपसभापति पी जे कुरियन ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपनी व्यवस्था में कहा, ‘मैं सदन में हुई सहमति के आधार पर प्रस्ताव पर मतदान नहीं करा रहा. बुधवार सुबह सदन के नेता, विपक्ष के नेता, विभिन्न दलों के नेता और संसदीय कार्य मंत्री मिलेंगे और नाम (प्रवर समिति के सदस्यों के) और समयावधि (समिति की सिफारिश देने के लिए) तय करेंगे.
यह विधेयक लाने से पहले विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सचिवों तथा मजदूर नेताओं से बातचीत की ताकि प्रभावी उपाय किये जा सकें.
नरेंद्र सिंह तोमर, खान एवं इस्पात मंत्री