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आप का विवाद और गहराया: केजरीवाल के विश्वासपात्रों ने यादव-भूषण पर किए प्रहार

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नयी दिल्ली: आप में जारी विवाद आज उस समय और गहरा गया जब पार्टी के चार शीर्ष नेताओं ने योगेन्द्र यादव और पिता-पुत्र शांति भूषण एवं प्रशांत भूषण पर प्रहार किया और उन पर दिल्ली विधानसभा चुनाव हराने के लिए काम करने और अरविंद केजरीवाल की छवि खराब करने के आरोप लगाए. पार्टी का अंदरुनी […]

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नयी दिल्ली: आप में जारी विवाद आज उस समय और गहरा गया जब पार्टी के चार शीर्ष नेताओं ने योगेन्द्र यादव और पिता-पुत्र शांति भूषण एवं प्रशांत भूषण पर प्रहार किया और उन पर दिल्ली विधानसभा चुनाव हराने के लिए काम करने और अरविंद केजरीवाल की छवि खराब करने के आरोप लगाए.

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पार्टी का अंदरुनी कलह सतह पर आने के बाद शीर्ष नेताओं की तरफ से पहले आधिकारिक बयान में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, परिवहन मंत्री गोपाल राय, पार्टी के महासचिव पंकज गुप्ता और संजय सिंह ने प्रशांत भूषण और यादव को शक्तिशाली राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से हटाने के निर्णय का बचाव किया. ये सभी केजरीवाल के विश्वासपात्र माने जाते हैं.

यादव ने पार्टी पर पलटवार करते हुए आरोप लगाए कि दिल्ली के विधायकों पर ‘‘दबाव’’ बनाकर उनके खिलाफ कागज पर दस्तखत कराए जा रहे हैं जबकि प्रशांत ने कहा कि देश को ‘‘पूरी सच्चाई’’ जल्द पता चल जाएगी.आप के कई नेताओं ने कहा कि परिस्थितियों के कारण नेतृत्व मुद्दे पर बयान देने के लिए ‘‘बाध्य’’ हुआ.केजरीवाल के चार विश्वासपात्र नेताओं ने शांति भूषण, प्रशांत भूषण और यादव पर आरोप लगाए कि वे पार्टी हित के खिलाफ काम कर रहे हैं और दिल्ली चुनावों में वे आप को हराना चाहते थे.

आप के चार नेताओं की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘तीनों और खासकर प्रशांत ने दूसरे राज्यों के कार्यकर्ताओं को फोन किया और उनसे पार्टी के लिए प्रचार नहीं करने को कहा. मैं इस बार पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर रहा हूं. आप लोग भी प्रचार मत कीजिए. पार्टी को हारना जरुरी है. तभी अरविंद को समझ आएगी.’’ बयान में कहा गया है, ‘‘अंजलि दमानिया (महाराष्ट्र से आप नेता) के सामने उन्होंने मैसूर के पार्टी कार्यकर्ताओं को यही बात कही. पार्टी को धन देने वालों को भी हतोत्साहित किया गया.’’ इसमें बताया गया, ‘‘पार्टी के कार्यकर्ता जब पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पसीना बहा रहे थे तब शांति, प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव पार्टी को हराने के लिए काम कर रहे थे.’’

आरोपों से इंकार करते हुए यादव ने पार्टी नेतृत्व पर आरोप लगाए कि वह सदस्यों पर दबाव बना रहा है कि वे प्रशांत, शांति भूषण और उनके खिलाफ खुलकर बोले. यादव ने कहा, ‘‘उन्हें सदस्यों पर हमारे खिलाफ खुलकर बोलने या दिल्ली के विधायकों को हमारे खिलाफ दस्तखत करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि यह बयान सभी लांछनों, आरोपों को खत्म करेगा. उम्मीद है कि इस मुद्दे पर पार्टी नेताओं और दिल्ली के विधायकों पर दबाव नहीं डाला जाएगा.’’ प्रशांत और यादव को पिछले हफ्ते पार्टी की पीएसी से मतदान के माध्यम से निकाल दिया गया था. दोनों को निकालने का प्रस्ताव सिसोदिया ने दिया जिसका समर्थन सिंह ने किया और इसका गुप्ता एवं राय सहित नौ अन्य ने समर्थन किया.

केजरीवाल के समर्थकों ने आरोप लगाए थे कि तीनों उन्हें राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाना चाहते हैं. सूत्रों ने बताया कि आप विधायकों का एक धडा प्रशांत, शांति और यादव के खिलाफ कार्रवाई के लिए हस्ताक्षर अभियान चला रहा है.अपने बयान में आप नेताओं ने दावा किया कि प्रशांत ने चुनाव की गहमागहमी के बीच संवाददाता सम्मेलन करने की धमकी दी थी.

नेताओं ने दावा किया, ‘‘चुनावों से दो हफ्ते पहले जब आशीष खेतान ने प्रशांतजी को फोन किया और उनसे पार्टी के दिल्ली डायलॉग पहल का नेतृत्व करने का आग्रह किया तो प्रशांतजी ने कहा कि वह चाहते हैं कि पार्टी हार जाए और केवल 20..22 सीटों पर जीत हासिल करे.’’ उन्होंने आरोप लगाए, ‘‘तीन दिनों तक आप के दस वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने का प्रयास करते रहे कि वह संवाददाता सम्मेलन नहीं करें क्योंकि इसका पार्टी पर नकारात्मक असर होगा. ऐसे समय में जब भाजपा और आप के बीच कांटे की टक्कर चल रही थी तो वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने में जुटे हुए थे.’’ नेताओं ने दावा किया कि पार्टी के पास ‘‘पर्याप्त साक्ष्य’’ है जिसमें यादव ने केजरीवाल की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया और संगठन की नकारात्मक छवि पेश की.

नेताओं ने कहा, ‘‘कुछ वरिष्ठ संपादकों ने व्यक्तिगत रुप से बताया कि दिल्ली चुनावों के दौरान यादव ने ऑफ द रिकॉर्ड सूचना देकर केजरीवाल की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया.’’ शांतिभूषण पर प्रहार करते हुए नेताओं ने कहा कि आप नेता ने न केवल भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी के पक्ष में बोला बल्कि आप के अलग हो चुके धडे आप वालंटियर्स विचार मंच का भी समर्थन किया.यादव ने कहा कि वह, प्रशांत और शांति भूषण आरोपों का जवाब देंगे और पार्टी नेतृत्व को इसे सार्वजनिक करने की चुनौती दी.

आप नेता ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि प्रशांत भूषण और मेरे जवाब को भी पार्टी मीडिया प्रचारित करेगा. उम्मीद है कि पार्टी की वेबसाइट सभी कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया के लिए खुली रहेगी.’’ यादव ने कहा कि पार्टी का अंदरुनी लोकपाल किसी भी सदस्य के खिलाफ किसी भी आरोप की जांच कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में चूंकि लोकपाल ने खुद ही पत्र लिखकर जांच करने की इच्छा जताई है इसलिए उन्हें जांच करने दीजिए. सच्चाई सामने आ जाएगी.’’

आरोपों का जवाब देते हुए भूषण ने कहा कि पार्टी के अंदर लोकतंत्र, पारदर्शिता, स्वराज और जवाबदेही के लिए वह अपनी लडाई जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई दूसरी राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं आए हैं जो किसी भी तरीके से चुनाव जीतने की मशीन हो.’’ वरिष्ठ वकील ने कहा कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी.

प्रशांत ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि समय आ गया है कि देश को मामले की पूरी सच्चाई का पता चले. बहुत जल्द उन्हें पूरी सच्चाई पता चल जाएगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह अच्छा है कि जो आरोप और बातें दूसरे लोगों के माध्यम से कही जा रही थीं उन्हें अब पार्टी के मुख्य नेता कह रहे हैं.’’ बहरहाल बाद में गोपाल राय ने कहा कि पार्टी अपने दो संस्थापक सदस्यों को एक और मौका देना चाहती है.

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें पीएसी से हटाया गया है न कि पार्टी से. पार्टी उन्हें एक और मौका देना चाहती है.’’चार नेताओं द्वारा जारी बयान को उचित ठहराते हुए आप के एक नेता ने कहा कि नेतृत्व को ऐसा करने के लिए बाध्य किया गया.आप नेता ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी में निर्णय किया गया कि कोई भी इसे सार्वजनिक नहीं करेगा. लेकिन उसी दिन मयंक गांधी ने ब्लॉग लिखा. प्रशांत और योगेन्द्र ने साक्षात्कार दिए.’’

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