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केंद्र सरकार अपनी 8 स्‍कीमों को कर सकती है बंद

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नयी दिल्‍ली: मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में पेश हुए 14वें वित्‍त आयोग की रिपोर्ट के अहम सुझावों को स्‍वीकार कर कॉपरेटिव फेडरलिज्‍म और राष्‍ट्रीय विकास में राज्‍यों की भागीदारी बनाने के अपने वादे को अमलीजामा पहना दिया है. कॉपरेटिव फेडरलिज्‍म के अपने विजन के तहत सरकार राज्‍यों को ज्‍यादा से ज्‍यादा स्‍कीमें चालाने देना चाहती है. इसी दिशा में केंद्र सरकार की ओर चलने वाली 8 स्‍कीमों को बंद करने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा हो जाता है तो केंद्र सरकार के सपोर्ट से चलने वाली स्‍कीमों की संख्‍या 66 से घटकर 58 रह जाएगी.
वित्‍त आयोग के अध्‍यक्ष वाई वी रेड्डी ने कमीशन की तरफ से की गयी सिफारिशों में केंद्र सरकार के समर्थन से चल रहीं 66 स्‍कीमों को घटाकर 36 करने का सुझाव दिया था. अब इन 30 स्‍कीमों को राज्‍य सरकार के हाथों में दे दिया जाएगा. सरकार ने कमीशन की सिफारिशों पर मुहर लगा दी है. इसके लिए राज्‍यों को मिलने वाले फंड में 10 फीसदी की बढोतरी की जाएगी.
वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि हालांकि केंद्र कुछ स्‍कीमों की अहमिहयत और कानूनी बाध्‍यताओं को देखते हुए सिर्फ 8 स्‍कीमों को केंद्र से अलग किया जा रहा है. फिलहाल केंद्र की बड़ी फ्लैगशिप स्कीमों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), निर्मल भारत अभियान, नैशनल रूरल ड्रिंकिंग वॉटर प्रोग्राम, नैशनल हेल्थ मिशन, बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड, इंटिग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम, राजीव गांधी पंचायत योजना, इंदिरा आवास योजना और महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्पलॉयमेंट गारंटी ऐक्ट शामिल हैं.
सरकार ने यह भी कहा है कि कुछ स्‍कीमों पर केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार मिलकर काम करेंगे. जिसमें उन स्‍कीमों को लागू करने की जिम्‍मेदारी राज्‍य सरकारों की होगी. केंद्र और राज्‍य सरकारों के बीच शेयरिंग पैटर्न में भी बदलाव किया जाएगा. फिलहाल इन स्‍कीमों में 75 प्रतिशत योगदान केंद्र का होता है और 25 फीसदी योगदान राज्‍यों का होता है. वहीं नार्थ इस्‍ट और जम्‍मू-कश्‍मीर के मामले में यह अनुपात 90 और 10 फीसदी तक हो जाता है.
नयी दिल्‍ली: मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में पेश हुए 14वें वित्‍त आयोग की रिपोर्ट के अहम सुझावों को स्‍वीकार कर कॉपरेटिव फेडरलिज्‍म और राष्‍ट्रीय विकास में राज्‍यों की भागीदारी बनाने के अपने वादे को अमलीजामा पहना दिया है. कॉपरेटिव फेडरलिज्‍म के अपने विजन के तहत सरकार राज्‍यों को ज्‍यादा से ज्‍यादा स्‍कीमें चालाने देना चाहती है. इसी दिशा में केंद्र सरकार की ओर चलने वाली 8 स्‍कीमों को बंद करने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा हो जाता है तो केंद्र सरकार के सपोर्ट से चलने वाली स्‍कीमों की संख्‍या 66 से घटकर 58 रह जाएगी.
वित्‍त आयोग के अध्‍यक्ष वाई वी रेड्डी ने कमीशन की तरफ से की गयी सिफारिशों में केंद्र सरकार के समर्थन से चल रहीं 66 स्‍कीमों को घटाकर 36 करने का सुझाव दिया था. अब इन 30 स्‍कीमों को राज्‍य सरकार के हाथों में दे दिया जाएगा. सरकार ने कमीशन की सिफारिशों पर मुहर लगा दी है. इसके लिए राज्‍यों को मिलने वाले फंड में 10 फीसदी की बढोतरी की जाएगी.
वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि हालांकि केंद्र कुछ स्‍कीमों की अहमिहयत और कानूनी बाध्‍यताओं को देखते हुए सिर्फ 8 स्‍कीमों को केंद्र से अलग किया जा रहा है. फिलहाल केंद्र की बड़ी फ्लैगशिप स्कीमों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), निर्मल भारत अभियान, नैशनल रूरल ड्रिंकिंग वॉटर प्रोग्राम, नैशनल हेल्थ मिशन, बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड, इंटिग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम, राजीव गांधी पंचायत योजना, इंदिरा आवास योजना और महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्पलॉयमेंट गारंटी ऐक्ट शामिल हैं.
सरकार ने यह भी कहा है कि कुछ स्‍कीमों पर केंद्र सरकार और राज्‍य सरकार मिलकर काम करेंगे. जिसमें उन स्‍कीमों को लागू करने की जिम्‍मेदारी राज्‍य सरकारों की होगी. केंद्र और राज्‍य सरकारों के बीच शेयरिंग पैटर्न में भी बदलाव किया जाएगा. फिलहाल इन स्‍कीमों में 75 प्रतिशत योगदान केंद्र का होता है और 25 फीसदी योगदान राज्‍यों का होता है. वहीं नार्थ इस्‍ट और जम्‍मू-कश्‍मीर के मामले में यह अनुपात 90 और 10 फीसदी तक हो जाता है.
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