‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के विवादित बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने सांसदों को किसी तरह के विवादास्पद बयान देने से बचने की सलाह दी है. भाजपा सांसद कई बार पत्रकारों के सवाल पूछे जाने के बाद ऐसे बयान दे देते हैं जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो जाता है और विपक्ष को संसद मे सरकार को घेरने का मौका मिल जाता है.
आरएसएस प्रमुख के बयान के बाद भाजपा ने अपने सांसदों को सावधान करने की कोशिश की है. हालांकि मोहन भागवत के बयान ने तूल पकड़ लिया है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को ट्वीटर पर लिखा कि मुझे उनके साथ कुछ वक्त काम करने का मौका मिला था.
वह एक महान आत्मा थीं. इस तरह का बयान देश के लोगों को आहत करता है. केजरीवाल ने लिखा, ‘मैंने कुछ महीने कोलकाता स्थित निर्मल हृदय आश्रम में मदर टेरेसा के साथ काम किया है. वह महान इंसान थीं, उन्हें बख्श दिया जाए. सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने भी भागवत के इस बयान पर कड़ा विरोध जताया है वाड्रा ने फेसबुक पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा.
वाड्रा ने लिखा कि इस तरह के बयान से उन्हें काफी दुख पहुंचा है. उन्होंने मदर टेरेसा के आश्रम में काम किया और इस दौरान उन्हें बहुत कुछ सिखने को मिला. मैं प्रार्थना करता हूं कि मदर टेरेसा पर इस तरह की टिप्पणी ना करें उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के नाम कर दिया.
अंत में वाड्रा ने टेरेसा को श्रद्धाजंलि दी. भागवत के इस बयान पर विरोधी पार्टियों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज करवायी. गौरतलब है कि मोहन भागवत ने कल कहा था कि मदर टेरेसा की गरीबों की सेवा के पीछे का मुख्य उद्देश्य ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराना था.