‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : सोमवार से शुरू होनेवाले संसद के बजट सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है. इसमें नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार को ऊपरी सदन में अध्यादेशों के स्थान पर छह विधेयकों को पारित कराना सुनिश्चित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी पराजय के बाद कई विपक्षी दलों ने वस्तुत: ‘अध्यादेश राज’ के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. विशेष तौर पर भूमि कानून में बदलाव के खिलाफ उनका रुख सख्त है. तीन महीने चलनेवाले संसद सत्र के दौरान सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी.
इन मुद्दों पर घिरेगी सरकार
कुछ भाजपा नेताओं, संघ परिवार के सदस्यों के विवादास्पद बयान और मुद्रास्फीति समेत कई मुद्दों पर सरकार पर निशाना साधने के लिए विपक्षी दलों के पास कई विषय हैं.
संसद के बाहर भी प्रदर्शन की तैयारी
22 फरवरी को पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश गौतमबुद्ध नगर जिले के चाउरोली गांव में किसान महापंचायत में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर केंद्र सरकार पर निशाना साधेंगे.किसान संगठनों के साथ गांधीवादी अन्ना हजारे जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर विरोध तेज करते हुए कांग्रेस ने 25 फरवरी को जंतर मंतर पर धरना देने का फैसला किया है, जिसमें राहुल गांधी के शामिल होने की उम्मीद है.
विपक्ष को मनायेंगे नायडू
सरकार ने विभिन्न माध्यमों से विपक्षी नेताओं से चर्चा की, लेकिन विपक्ष ने उसे कोई राहत दी हो, ऐसा संकेत नहीं है. संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने रविवार दोपहर में संसद के दोनों सदनों के विभिन्न दलों के नेताओं की बैठक बुलायी है, ताकि बजट सत्र से पहले आपसी चर्चा की जा सके. वहीं, स्पीकर ने सदन को चलाने के लिए रविवार को नेताओं को रात्रिभोज पर बुलाया है.