‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
अहमदाबाद : एक स्थानीय अदालत ने आज आम आदमी पार्टी(आप) के एक सदस्य की ओर से दाखिल अर्जी खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘क्लीन चिट’ दे दी. अर्जी में 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान एक ‘त्रुटिपूर्ण’ हलफनामा दाखिल किए जाने के मामले में मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गयी थी.
अहमदाबाद जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जीएन राणा ने इस आधार पर ‘आप’ नेता निशांत वर्मा की अर्जी खारिज कर दी कि याचिका दाखिल करने में देरी हुई है. वर्मा ने कहा था कि मोदी ने अपने हलफनामे में अपनी वैवाहिक स्थिति की जानकारी नहीं दी थी. अदालत ने यह भी कहा कि एक मतदाता के तौर पर वर्मा किसी और विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं, जबकि उनकी शिकायत मणिनगर सीट से जुड़ी है. सत्र अदालत ने अपने आदेश में आज कहा, ‘‘धारा 33 के मुताबिक, यह कदम अपराध तभी कहा जा सकता है जब गलत सूचना दी जाए या सूचना छुपायी जाए.’’ जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 33 नामांकन-पत्र में दी गयी सूचनाओं से जुड़ी है.
याचिका के मुताबिक, साल 2012 में मणिनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके मोदी ने अपने हलफनामे में वह कॉलम खाली छोड़ दिया था, जिसमें उन्हें अपनी पत्नी का नाम लिखना था. मोदी ने अपनी पत्नी जसोदाबेन का नाम पहली बार उस वक्त बताया था जब पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपना पर्चा दाखिल किया था. वर्मा ने दलील दी थी कि मोदी ने 2012 में अपनी वैवाहिक स्थिति के बारे में तथ्यों का खुलासा नहीं किया था जो जनप्रतिनिधत्व कानून के तहत अपराध है. उन्होंने पिछले साल अप्रैल में तब अदालत का रुख किया था जब यहां की रानिप पुलिस ने मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था. वह चाहते थे कि अदालत मोदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे.