मुंबई : शहरी विकास के क्षेत्र में राज्यों एवं निगम परिषदों को कोष की मंजूरी उनकी रेटिंग और प्रदर्शन पर निर्भर करेगा. यह बात आज यहां केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कही. उन्होंने सभी शहरों से कहा कि वे आगामी दस वर्षों के लिए विजन दस्तावेज तैयार करें जो ‘पीपीपीपी’ मॉडल पर आधारित हो.
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दस वर्षों का विजन दस्तावेज तैयार करे हर शहरः नायडू
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मुंबई : शहरी विकास के क्षेत्र में राज्यों एवं निगम परिषदों को कोष की मंजूरी उनकी रेटिंग और प्रदर्शन पर निर्भर करेगा. यह बात आज यहां केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कही. उन्होंने सभी शहरों से कहा कि वे आगामी दस वर्षों के लिए विजन दस्तावेज तैयार करें जो ‘पीपीपीपी’ मॉडल पर आधारित हो. शहरी […]
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शहरी प्रशासन पर आयोजित कार्यशाला में 115 निगम आयुक्तों की बैठक को संबोधित करते हुए नायडू ने बताया, ‘‘केंद्रीय वित्त पोषण राज्य सरकारों और नगर निगमों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा. राज्यों के साथ ही निगमों की भी रेटिंग होगी. बिना साख के धन कौन देगा ?’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर शहर को अगले दस वर्ष के लिए विजन दस्तावेज बनाना चाहिए जिसमें व्यापक विकास योजना हो.
शहर के लोगों के सुझाव को ध्यान में रखकर योजना तैयार की जानी चाहिए क्योंकि विकास उनके लिए है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘शहरों को ज्यादा टिकाउ एवं स्मार्ट बनाने के लिए हमें पीपुल..पब्लिक..प्राईवेट..पार्टनरशिप (पीपीपी) का नया मॉडल अपनाने की जरुरत है.’’ उन्होंने कहा कि साफ..सफाई, खुली जमीन, हरित, वहनीयता सहित अन्य आधार पर राज्यों एवं स्थानीय निकायों की रेटिंग होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों एवं शहरी निकायों को आत्मनिर्भर होना चाहिए ताकि खुद से विकास कर सकें.
नायडू ने कहा, ‘‘अगर नगर निकायों को कोष की जरुरत होती है तो वे राज्य सरकार के पास जाएं जो केंद्र से सहयोग मांग सकता है. लेकिन सभी परियोजनाओं के लिए कोष मुहैया कराना केंद्र के लिए संभव नहीं है. इसलिए शहरों के विकास के लिए हमारे खुद के पास पर्याप्त कोष होना चाहिए.’’
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