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मंगलयान के 100 मंगलमय दिन पूरे, दुनिया ने माना भारत का लोहा

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बेंगलुरुः लालग्रह के रूप में पहचाने जाने वाले मंगलग्रह पर भारत के मंगलयान ने दो जनवरी को 100 मंगलमय दिन पूरे कर लिये. मंगलयान का जीवन यूं तो एक साल का ही माना जा रहा है, लेकिन इस अभियान से जुड़े इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि इसमें अभी काफी ईंधन बचा है. […]

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बेंगलुरुः लालग्रह के रूप में पहचाने जाने वाले मंगलग्रह पर भारत के मंगलयान ने दो जनवरी को 100 मंगलमय दिन पूरे कर लिये.

मंगलयान का जीवन यूं तो एक साल का ही माना जा रहा है, लेकिन इस अभियान से जुड़े इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि इसमें अभी काफी ईंधन बचा है. ऐसे में यह 10 से 15 साल भी अपनी सेवाएं दे सकता है. मात्र 450 करोड़ रुपये में मंगल मिशन को पूरा करने वाले भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है.

श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी सी 25 के जरिये इसे प्रक्षेपित किया गया मंगलयान 24 सितंबर को लालग्रह की कक्षा में पहुंचा था. इस तरह भारत दुनिया का पहला देश बन गया जो पहले प्रयास में इस उपलब्धि को पाने में सफल रहा.
मंगलयान मंगलग्रह के वायुमंडल की तस्वीरें भी लगातार भेज रहा है. बेंगलुरु के इसरो स्थित नियंत्रण कक्ष से इसे बाद में अहमदाबाद की स्पेस एप्लीकेशन सेंटर एंड फिजिकल रिसर्च लेब्रोरेटरी में अध्ययन के लिए भेजा जाता है. मंगलयान ने 31 दिसंबर को इसरो के सेवानिवृत्त हुए चेयरमैन डॉ राधाकृष्णन को शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया था कि वह सही ढंग से काम कर रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि मंगलयान की असली क्षमता का पता तब चलेगा जब उसके और लालग्रह के बीच सूर्य आएगा. इस दौरान इसका धरती से संपर्क टूट जायेगा. मार्स आर्बिटर यानी मंगलयान ने 19 अक्तूबर को मंगल ग्रह के निकट से गुजर रहे साइडिंग स्प्रिंग धूमकेतु श्रृंखला को 40 मिनट तक अपने कैमरे में कैद किया था.

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