कांग्रेस ने मनाया 130 वां स्थापना दिवस, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समारोह से नदारद

नयी दिल्ली : अपने खिसकते आधार और इस साल चुनावी मुकाबले में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि के बीच कांग्रेस ने आज अपना 130 वां स्थापना दिवस मनाया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस मुख्यालय में समारोह की अध्यक्षता की और पार्टी का झंडा फहराया. हालांकि, उपाध्यक्ष राहुल गांधी समारोह में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2014 2:02 PM
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नयी दिल्ली : अपने खिसकते आधार और इस साल चुनावी मुकाबले में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि के बीच कांग्रेस ने आज अपना 130 वां स्थापना दिवस मनाया.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस मुख्यालय में समारोह की अध्यक्षता की और पार्टी का झंडा फहराया. हालांकि, उपाध्यक्ष राहुल गांधी समारोह में मौजूद नहीं थे.
जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के बारे में पूछे जाने पर सोनिया ने संवाददाताओं से कहा कि हमें जनादेश नहीं मिला है. दूसरों को सरकार बनानी होगी. पार्टी को वहां 12 सीटें मिली है.
कांग्रेस क्या पीडीपी का समर्थन करेगी इस सवाल पर सोनिया महज मुस्कुरा उठीं और चली गयी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने चुनावी नुकसान को कोई खास तवज्जो नहीं दिया और कहा कि एक चुनाव में हार या जीत कुछ नहीं है अगर इसकी तुलना की जाये कि कांग्रेस नेताओं ने अतीत में देश के लिए क्या किया है. हमने अनेक उतार चढाव देखें हैं.
समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एक के एंटनी, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा सहित पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया. आज ही के दिन 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी. पार्टी का पहला सम्मेलन 28 से 31 दिसम्बर के बीच मुंबई में हुआ था और इसमें 72 सदस्यों ने हिस्सा लिया था.
पिछले साल कांग्रेस का स्थापना दिवस समारोह उसी दिन था जिस दिन आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण था. कांग्रेस पंद्रह वर्षों के बाद दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गयी थी.
इस साल लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी 2009 के 206 सीटों से घटकर 44 सीटों पर सिमट गयी. पार्टी का यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है. इसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भी उसे पराजय का सामना करना पड़ा जहां वह सत्ता में थी.
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