मुंबई : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से बीमा क्षेत्र में एफडीआई और कोयला खदानों की ई-नीलामी को लेकर दो अध्यादेशों पर आज हस्ताक्षर करने के बाद शिवसेना ने इन दोनों अध्यादेशों को सिर पर लटकती तलवार की तरह बताया है. शिवसेना ने कहा, इससे अपनाने से अगले छह महीने तक ‘केंद्र के सिर पर तलवार लटकती’ रहेगी.
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दोनों अध्यादेश सिर पर लटकती तलवार की तरहः शिवसेना
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मुंबई : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से बीमा क्षेत्र में एफडीआई और कोयला खदानों की ई-नीलामी को लेकर दो अध्यादेशों पर आज हस्ताक्षर करने के बाद शिवसेना ने इन दोनों अध्यादेशों को सिर पर लटकती तलवार की तरह बताया है. शिवसेना ने कहा, इससे अपनाने से अगले छह महीने तक ‘केंद्र के सिर पर […]
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‘‘संवैधानिक प्रावधानों की अपनी सीमाएं हैं. इन्हें (अध्यादेशों को) कानून का रुप देने के लिए संसद द्वारा छह माह के भीतर अनुमोदित करना जरुरी है.सत्तारुढ राजग की घटक शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘‘सरकार के पास राज्यसभा में जरुरी संख्या बल नहीं है. ऐसे में अध्यादेश का रास्ता सरकार के सिर पर लटकती तलवार की तरह होगा.’’ पार्टी ने यह भी कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे को देखते हुए बीमा और कोयला क्षेत्र में सुधारों के लिए अध्यादेश लाना एकमात्र रास्ता था.
उसने कहा, ‘‘धर्मांतरण के मुद्दे पर विपक्ष ने राज्यसभा में हंगामा किया, जिसके कारण महत्वपूर्ण विधेयकों को विचार के लिए नहीं लाया जा सका. सरकार को देश की आर्थिक हालत ठीक करने के लिए रास्ता निकालना था. ऐसे में अध्यादेश ही एकमात्र रास्ता बच गया था.’’ केंद्रीय कैबिनेट ने बीते बुधवार को बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 26 से बढाकर 49 फीसदी करने के अध्यादेश तथा कोयला खदान आवंटन की बहाली को अनुमति को लेकर अध्यादेश फिर से लाने को मंजूरी दी थी.
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