विपक्ष ने धर्मांतरण पर सरकार को घेरा, एफआईआर दर्ज
आगरा, नयी दिल्ली: आगरा में आरएसएस से जुडे एक संगठन द्वारा करीब 100 मुस्लिमों के हिंदू धर्म में कथित जबर्दस्ती धर्मांतरण का मामला तूल पकड गया है. इसे लेकर जहां विपक्ष ने संसद के भीतर और बाहर आज सरकार को घेरा वहीं आगरा पुलिस ने सोमवार की इस घटना के सिलसिले में आरएसएस से जुडे […]
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आगरा, नयी दिल्ली: आगरा में आरएसएस से जुडे एक संगठन द्वारा करीब 100 मुस्लिमों के हिंदू धर्म में कथित जबर्दस्ती धर्मांतरण का मामला तूल पकड गया है. इसे लेकर जहां विपक्ष ने संसद के भीतर और बाहर आज सरकार को घेरा वहीं आगरा पुलिस ने सोमवार की इस घटना के सिलसिले में आरएसएस से जुडे एक हिंदू संगठन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
विपक्ष, जिसने इस मामले में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की भी मांग की है, के हमलों का जवाब देते हुए सरकार ने यह कहकर इस मुद्दे से अपने हाथ धो लिए कि उसकी इसमें कोई भूमिका नहीं है और कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है. भाजपा नेताओं ने दावा किया कि धर्मांतरण स्वैच्छिक था और यह जबर्दस्ती नहीं कराया गया.
आगरा में सदर बाजार पुलिस ने कल देर रात धर्म जागरण मंच और इसके उत्तर प्रदेश के संयोजक नंद किशोर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और मामले की तफ्तीश शुरु कर दी.
पुलिस ने इस संबंध में भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढाना) और धारा 415 (फर्जी उपायों का इस्तेमाल करने) के तहत इस्माइल नाम व्यक्ति की शिकायत पर मामले दर्ज किए हैं. इस्माइल भी धर्म परिवर्तन करने वालों में शामिल था.प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि आयोजकों ने हिंदू धर्म ग्रहण करने वालों को बीपीएल कार्ड और आवासीय प्लॉट देने का लालच दिया था.
इस बीच कथित धर्मांतरण की इस घटना को लेकर स्थानीय मुसलमानों में फैले आक्रोश के मद्देनजर पुलिस और जिला प्रशासन इस बात को लेकर सतर्क हो गया है कि यहां साम्प्रदायिक तनाव न फैल जाए.
उ.प्र. सर्वदलीय मुस्लिम एक्शन कमेटी ने अपर जिलाधिकारी को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए ज्ञापन सौंपा है. अपर जिलाधिकारी ने उनको आश्वासन दिया कि वह जांच कर कार्रवाई करेंगे ,इस दौरान शांति बनाए रखी जाए.
इधर राज्यसभा में यह मामला उठाते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया कि आरएसएस से जुडे बजरंग दल ने आगरा में कुछ मुस्लिम परिवारों को लालच देकर हिंदू धर्म अपनाने पर मजबूर किया.
मायावती ने कहा, ‘‘संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है और यह केंद्र और राज्य सरकार दोनो की जिम्मेदारी है कि वह सभी धर्म के लोगों के जीवन, संपत्ति और धर्म की सुरक्षा सुनिश्चित करे.’’ मायावती ने कहा, ‘‘सरकार को आगरा की घटना को गंभीरता से लेना चाहिए और कडी कार्रवाई करनी चाहिए.’’ उन्होंने आगाह किया कि इस तरह के जबर्दस्ती के धर्मांतरण से देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा होगा और बढेगा.
उन्होंने मांग की कि बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन रोका जाना चाहिए. इस दौरान कांग्रेस, वाम, टीएमसी और सपा ने भी उनके सुर में सुर मिलाया और ‘प्रधानमंत्री जवाब दो’ के नारे लगाए.कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार को इस मामले पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
संसदीय मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हंगामा कर रहे सदस्यों को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले पर एफआईआर दर्ज कराई गई है.
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिए. कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है और राज्य सरकार को ही इससे निपटना होगा. केंद्र की इसमें कोई भूमिका नहीं है.’’ इस मामले की गूंज लोकसभा में भी सुनाई दी.
संसद के बाहर भाकपा के डी राजा ने आरोप लगाया कि हिंदुत्व का एजेंडा सब पर थोपने की कोशिश की जा रही है.माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि यह आरएसएस और भाजपा द्वारा खेली जा रही वोट बैंक की सबसे गंदी राजनीति है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने इसे ‘‘राष्ट्र विरोधी करार दिया.
भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा कि धर्म परिवर्तन से पहले लोगों की सहमति ली गई थी.उत्तर प्रदेश में गृह सचिव कमल सक्सेना ने कहा कि राज्य सरकार ने घटना को गंभीरता से लिया है और संबद्ध जिला पुलिस प्रमुख को अपनी गुप्तचर इकाइयों को चौकन्ना रखने और इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया.
इधर शिवसेना आगरा के जिला प्रमुख वीनू लवानिया का कहना है कि जितने भी लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है. उन्होंने ऐसा अपनी इच्छा से किया है. ये सभी लोग बांग्लादेश के रहने वाले है और यहां की नागरिकता पाना चाहते हैं. मुस्लिम समाज और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता साम्प्रदायिक तनाव फैलाने के उद्देश्य से मामले को तूल दे रहे हैं.
गौरतलब है कि ऐसी सूचना मिली थी कि आगरा के देवरी रोड स्थित देवनगर में सोमवार को शिवसेना और बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर करीब 100 लोगों को हवन यज्ञ में आहुति दिलवाकर उनका धर्म परिवर्तन कराया. हालांकि इन लोगों ने उस दिन कहा था कि उन्होंने धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से किया है, लेकिन मंगलवार को उन्होंने बयान बदल दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें गुमराह किया गया था.
उधर लखनउ में उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव कमल सक्सेना ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि राज्य के गृह विभाग ने आगरा में जबरन धर्मान्तरण की खबरों को गंभीरता से लिया है.
पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) ए सतीश गणोश ने कहा कि पुलिस महानिदेशक सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश भेज रहे हैं कि राज्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकें.
उन्होंने कहा कि गृह विभाग ने मीडिया में आयी इन खबरों पर संज्ञान लिया है कि ऐसे धर्मान्तरण 25 दिसंबर को अलीगढ में कराने की भी योजना है. प्रशासन से इस बारे में सूचना एकत्र करने को कहा गया है. साथ ही उसे सतर्क रहने को भी कहा गया है.
हालांकि जबरन धर्मांतरण के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा नेता कलराज मिश्र ने कहा कि कोई धर्मांतरण जबरन नहीं हो सकता.उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई स्वेच्छा से अपना धर्म बदलना चाहता है तो हमारे संविधान में इसके लिए प्रावधान है. और अगर कोई धर्मांतरण स्वेच्छा से है तो इसे राजनैतिक रंग देने की कोई आवश्यकता नहीं है.’’
इस बीच शिवसेना ने जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप से इंकार करते हुए दावा किया कि इन लोगों ने स्वेच्छा से ‘घर वापसी’ की है. उनका दावा है कि ये लोग पहले हिंदू थे, लेकिन दबाव में इन्होंने इस्लाम कुबूल कर लिया था. अब यह अपनी मर्जी से हिंदू धर्म में वापस लौट आए हैं.
शिवसेना के जिला प्रमुख वीनू लवानिया ने दावा किया कि धर्म परिवर्तन कराने के लिए न तो प्रलोभन दिया गया और न ही दबाव डाला गया है. सभी ने अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन किया है. उन्होंने बताया कि ये लोग बांग्लादेशी हैं. इन्होंने यहां की नागरिकता प्राप्त करने की बात कही थी, जिसके चलते धर्म परिवर्तन कराया गया है. इनके द्वारा दिए गए शपथ पत्र भी उनके पास हैं. वह इनके शपथ पत्रों को अधिकारियों के सामने रखेंगे.
बजरंग दल के प्रांत सह संयोजक अज्जू चौहान ने भी कुछ इसी तरह का दावा करते हुए कहा, ‘‘इस तरह के कार्यक्रम अक्सर होते हैं. इन लोगों ने हिन्दू धर्म अपनाने की इच्छा व्यक्त की थी इसलिए उन्हें हिन्दू धर्म ग्रहण कराया गया और इसके लिए कोई प्रलोभन नहीं दिया गया. धर्म परिवर्तन करने से 10 दिन पूर्व इनके फॉर्म भी भरवाए गए थे. अगर अपत्ति होती तो वे 10 दिन के अंदर अपना इरादा बदल सकते थे.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम समाज के कुछ लोग और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता इस मामले को साम्प्रदायिक तनाव फैलाने के लिए तूल दे रहे हैं.
कथित धर्म परिवर्तन की इस घटना से मुस्लिमों में भारी आक्रोश है. उनका आरोप है कि हिन्दूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिमों को गुमराह कर उनका धर्म परिवर्तन कराया. सर्व दलीय मुस्लिम एक्शन कमेटी के तत्वावधान में मुस्लिम समाज के लोगों ने आज मंटोला चौराहा पर जाम लगाया और एडीएम सिटी और एसपी सिटी को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई करने की मांग की.
जाम के दौरान शहर मुफ्ती अब्दुल खुबेब रुमी, डॉ. शिराज कुरैशी, समी आगाई, इकबाल पच्चेका आदि ने कहा कि जिसने भी यह काम किया है, गलत किया है. किसी का धर्म परिवर्तन कराना अच्छा काम नहीं है. प्रशासन को जांच करके सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.