गुलबर्ग सोसायटी मामले के अभियुक्त की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले के एक अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने से आज इंकार कर दिया. इस घटना में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 व्यक्ति मारे गये थे. न्यायालय ने कहा कि उसने निचली अदालत को इस मुकदमे की सुनवाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2014 5:52 PM
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले के एक अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने से आज इंकार कर दिया. इस घटना में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 व्यक्ति मारे गये थे. न्यायालय ने कहा कि उसने निचली अदालत को इस मुकदमे की सुनवाई तीन महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है.
प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी की खंडपीठ ने कहा कि हमने सत्र अदालत से अनुरोध किया है कि इस मुकदमे की सुनवाई तीन महीने में पूरी की जाये. हम इस चरण में नियमित जमानत नहीं दे सकते हैं. अभियुक्त संदीप उर्फ सोनू रामप्रकाश मेहरा करीब 12 साल तक जेल में रहने के बाद इस समय अंतरिम जमानत पर है. उसने न्यायालय से इस सनसनीखेज मामले की सुनवायी पूरी होने तक उसे नियमित जमानत देने का अनुरोध किया था.
व्यक्तिगत रुप से न्यायालय में पेश संदीप ने कहा, इस मामले में 58 व्यक्ति नियमित जमानत पर हैं. लेकिन मेरे जैसा गरीब आदमी अभी भी जेल में हैं. मुझे सुनवाई पूरी होने तक जमानत दी जाये. लेकिन न्यायालय ने उसका यह अनुरोध ठुकरा दिया.
इससे पहले, न्यायालय ने मुकदमे की सुनवाई में विलंब के कारण अभियुक्तों के जेल में बंद रहने पर चिंता व्यक्त करते हुये अहमदाबाद स्थित निचली अदालत से कहा था कि गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले की कार्यवाही तीन महीने के भीतर पूरी की जाये.
न्यायालय ने गुलबर्ग सोसायटी मामले सहित दंगों के नौ मामलों की जांच करने वाले विशेष जांच दल से भी कार्यवाही तेज करने के लिये कहा था. लेकिन न्यायालय ने सत्र अदालत से कहा था कि उसकी पूर्व अनुमति के बगैर इस मामले में फैसला नहीं सुनाया जाये.
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