26/11 : पहली बार बिजनेस कैपिटल पर आतंकियों ने बरसाई गोलियां

मुंबई : आज पूरा देश 26/11 में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दे रहा है. इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. शायद ही कोई भारतीय होगा जो इस हमले को कभी भूल पाएगा. 21 वीं सदी में दुनियां में दो बड़े आतंकी हमले हुए पहला अमेरिका में हुआ जब अल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2014 11:03 AM

मुंबई : आज पूरा देश 26/11 में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दे रहा है. इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. शायद ही कोई भारतीय होगा जो इस हमले को कभी भूल पाएगा. 21 वीं सदी में दुनियां में दो बड़े आतंकी हमले हुए पहला अमेरिका में हुआ जब अल कायदा ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला कर दोनों इमारतों को ध्‍वस्त कर दिया. लोग इसे 9/11 के रूप में याद करते हैं. इस हमले ने अमेरिका की रीढ़ हिला कर रख दी थी. दूसरी घटना भारत में हुई जिसमें आतंकियों ने 164 लोगों को अपनी गोली का निशाना बनाया. यह घटना आज भी लोगों के दिलों में 26/11 के रूप में जगह बनाए हुए है.

अबतक नहीं जागी सरकार

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में अंधाधुन चलती गोलियां, कई घंटों तक नरीमन हाऊस पर आतंकियों का कब्जा और ताज होटल परिसर में लगातार 60 घंटे तक चली गोलियां ,शायद सरकार को इस घटना के बाद जाग जाना चाहिए. इसमें कोई शक नहीं कि सरकार की ओर से 26/11 की घटना के बाद कई अहम कदम उठाए गए लेकिन कुछ चीजों को अमल करने में सरकार विफल रही है. इस आतंकी हमले के बाद जांच एजेंसी एनआइए का निर्माण हुआ. उस वक्त गृह मंत्रालय ने अपनी कार्यप्रणाली में कई तरह के सुधार किए. 26/11 हमले के बाद 30 नवंबर को गृह मंत्रालय का प्रभार पी चिदंबारम को सौंपा गया. लेकिन आतंकवादी हमले के बाद राज्य सरकार ने महानगर में 5000 सीसीटीवी कैमरे लगाने का ऐलान किया था. इस घटना के आंकलन के लिए बनी राम प्रधान समिति ने सुरक्षा नीति पर पुनर्विचार और समीक्षा की सिफारिश भी की थी पर, सरकार ने उसे गंभीरता से नहीं लिया.

तो नहीं मारे जाते हेमंत करकरे, विजय सालस्कर और अशोक कॉम्टे

महाराष्ट्र सरकार को हर तीन साल पर अपनी हथियार नीति की समीक्षा करने की सलाह देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कहा कि 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान कुछ आला अधिकारियों को इस वजह से जान गंवानी पडी क्योंकि उनके पास अच्छे हथियार नहीं थे. न्यायमूर्ति वी एम कणाडे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने यह टिप्पणी 26/11 की घटना की छठी बरसी से एक दिन पहले की है. खंडपीठ ने कहा कि सरकार को हर तीन साल पर हथियारों की खरीद की अपनी नीति की समीक्षा करनी होती है पर अफसोस कि 2010 के बाद से यह समीक्षा नहीं की गई है. गौरतलब है कि इस हमले में आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए हेमंत करकरे, विजय सालस्कर और अशोक कॉम्टे जैसे मुंबई पुलिस के शीर्ष अधिकारी शहीद हो गए थे जिसके बाद भी पुलिस ने हार नहीं मानते हुए लश्कर के नौ आतंकियों को मार गिराया था. इस कार्रवाई में पुलिस का साथ एनएसजी कमांडो ने भी दिया था. पुलिस ने एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा था जिसे नवंबर, 2012 में फांसी दे दी गई.

पहली बार हुई थी निहत्थे नागरिकों पर गोलियों की बौछार

26/11 के पहले आतंकी हमले बम ब्लास्ट के रूप में किए गए. यह पहली बार था जब आतंकियों ने निहत्थे नागरिकों पर गोलियों की बौछार करके 164 निर्दोष लोगों को मारा. इस हमले के बाद भी लोग नहीं डरे और भागने के बजाए एक दूसरे की मदद करते दिखे. इससे पहले ऐसी घटना केवल धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्‍मीर में देखने को मिलती थी. यह पहली बार था तब भारत के बिजनेस कैपिटल पर आतंकियों ने गोलियों बरसाई थी. इस घटना के बाद अब लोग सचेत हो चुके हैं और समुद्र के रास्ते आने वाले खतरे को वह पहचानने लगे हैं. समुद्र से आने वाले खतरे को देखते हुए सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं.

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