महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहें कार्यकर्ता: पवार
अलीबाग (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से लेकर राज्य में भारतीय जनता पार्टी की अल्पमत सरकार बनने के दौरान, राज्य में हर रोज नए-नए राजनीतिक दांव-पेंच और हंगामे देखे गए. कभी एक-दूसरे के प्रबल समर्थक रहे शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन में दरार के बाद शरद पवार की तरफ से बीजेपी […]
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अलीबाग (महाराष्ट्र): महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से लेकर राज्य में भारतीय जनता पार्टी की अल्पमत सरकार बनने के दौरान, राज्य में हर रोज नए-नए राजनीतिक दांव-पेंच और हंगामे देखे गए. कभी एक-दूसरे के प्रबल समर्थक रहे शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन में दरार के बाद शरद पवार की तरफ से बीजेपी की सरकार को बिना शर्त बाहर से समर्थन देने की घोषणा और उसके बाद सरकार में शिवसेना के शामिल होने को लेकर अटकलों ने राज्य के राजनीतिक माहौल को गर्म बना रखा है.
इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने आज पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद के राजनीतिक हालात के मद्देनजर वे राज्य में मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहें. पवार के इस बयान ने एक बार फिर से राज्य में बरकरार राजनीतिक अनिश्चितता की तरफ इशारा किया है.
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अलीबाग में आज शुरु हुइ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की दो दिवसीय बैठक को संबोधित करते हुए पवार ने कहा कि हमें महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव का सामना करने के लिए तैयार रहना है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में स्थिर सरकार रखने की जिम्मेदारी राकांपा की नहीं है. उल्लेखनीय है कि जिस दिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए, पवार की पार्टी राकांपा ने भाजपा को बाहर से बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की थी.
उन्होंने आरोप लगाया कि हाल के राज्य विधानसभा चुनावों में दो सीटों पर काबिज होने वाली मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआइएम) के उभार के पीछे भाजपा के कुछ तत्व हैं.
288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 121, शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42 और राकांपा के 41 विधायक हैं. महाराष्ट्र की अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने राकांपा की ओर से बाहरी समर्थन की घोषणा के बाद पिछले हफ्ते विवादास्पद रुप से ध्वनि-मत से विश्वास प्रस्ताव हासिल किया था.
ध्वनिमत से विश्वासमत पारित होने के बाद शिवसेना और कांग्रेस ने उसका कड़ा विरोध किया था. दोनों पार्टियों ने ज्ञापन दे कर राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से मांग की थी कि वह फड़णवीस सरकार को फिर से विश्वास मत हासिल करने के लिए कहें और इसका फैसला मतविभाजन से हो.
राकांपा विधायक दल के नेता एवं पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने विश्वास मत के तरीके से असहमति जतायी थी. इससे पहले, शरद पवार कह चुके हैं कि वह भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल की गारंटी नहीं ले सकते हैं.
पवार को न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि महाराष्ट्र की प्रादेशिक राजनीति में भी दिग्गज नेता के रूप में जाना जाता है. लोग ये जानते हैं कि शरद पवार राजनीति में कोइ दांव बहुत सोच-समझकर चलते हैं. ऐसे में पहले तो पवार ने बीजेपी की फड़नवीस सरकार को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी और उसके साथ ये कहा था कि राज्य में राकांपा एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभायेगी और जान-बूझकर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश नहीं करेगी.
उसके बाद आज अपने कार्यकर्ताओं की रैली में उनका ये कहना कि राज्य में मध्यावधि चुनाव की स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए, ऐसे में ये अंदेशा लगाया जा रहा है कि इस बात से पवार ने, राज्य में भविष्य में किसी बड़ी राजनीतिक पहल या उलट-फेर के इशारे का संकेत दिया है.