‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
संयुक्त राष्ट्र : भारत ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त ना करने की नीति को लेकर अपने पूरी तरह प्रतिबद्ध होने की बात कही और साथ ही कहा कि आतंकवादी कार्रवाइयों को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी केंद्र :यूएनसीसीटी: के सलाहकार बोर्ड की नौवीं बैठक में हिस्सा लेते हुए यूएनसीसीटी से वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति के चारों स्तंभों के संतुलित कार्यान्वयन की दिशा में अपने प्रयास जारी रखने की अपील की.
इन स्तंभों में – आतंकवाद के प्रसार के लिए अनुकूल परिस्थितियों से निपटना, आतंकवाद को रोकना एवं उससे मुकाबला करना, आतंकवाद को रोकने एवं उससे मुकाबला करने के लिए देशों की क्षमता का निर्माण करना तथा इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की भूमिका को मजबूत करना और मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करना शामिल है.
मुखर्जी ने कल यहां कहा, ‘‘भारत अपनी ओर से आतंकवाद को कतई बर्दाश्त ना करने की नीति को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उसका दृढता से मानना है कि आतंकवादी कार्रवाइयों को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता.’’ भारत ने विदेशी आतंकवादी लडाकों की संवृति को समझने की जरुरत पर जोर दिया. मुखर्जी ने मुद्दे पर कार्रवाई उन्मुख चर्चा को लेकर सदस्यों को सक्षम बनाने के लिए बोर्ड में एक चर्चा पत्र लाने का प्रस्ताव दिया.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून की उस सलाह का भी स्वागत किया जिसमें उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक सेना के अभियानों में यूएनसीसीटी की विशेषज्ञता उपलब्ध करायी जानी चाहिए खासतौर पर उन मामलों में जहां वे आतंकवादी घटनाओं से सीधे प्रभावित होते हैं. मुखर्जी ने आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में यूएनसीसीटी के क्षमता निर्माण में भारत के पूर्ण सहयोग का भी भरोसा दिया.