अजमेर में भाईचारा और सद्भावाना की मिशाल

अजमेर: अजमेर शहर पूरे देश में शिया और सुन्नी भाईचारा और सदभावना की मिसाल है. यहां बारहवीं सदी से शिया-सुन्नी समुदाय में कभी कोई विवाद नहीं हुआ.सुन्नी समुदाय से तालुक रखने वाले मुजफ्फर भारती के अनुसार न केवल मुस्लिम देशों में बल्कि भारत के कुछ शहरों में भी शिया-सुन्नी विवाद किसी से छिपा नहीं है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2014 6:23 PM

अजमेर: अजमेर शहर पूरे देश में शिया और सुन्नी भाईचारा और सदभावना की मिसाल है. यहां बारहवीं सदी से शिया-सुन्नी समुदाय में कभी कोई विवाद नहीं हुआ.सुन्नी समुदाय से तालुक रखने वाले मुजफ्फर भारती के अनुसार न केवल मुस्लिम देशों में बल्कि भारत के कुछ शहरों में भी शिया-सुन्नी विवाद किसी से छिपा नहीं है, लेकिन अजमेर शहर इससे बिलकुल अलग है जहां बारहवीं सदी से शिया-सुन्नी समुदाय में कभी कोई विवाद नहीं हुआ, यह सदभावना की मिसाल है.

भारती ने आज से बातचीत करते हुए कहा कि मुहर्रम के दिन अजमेर में शिया सुन्नी एक दूसरे के जुलुस में शामिल होते हैं, लेकिन इनकी संख्या सीमित होती है ,यह स्थिति उन क्षेत्रों के लिए जहां शिया-सुन्नी में विवाद होता है, आदर्श है.
उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि अजमेर की शिया-सुन्नी बस्तियां सबसे पुरानी हैं जहां लगभग 800 वर्षो से दोनों ही समुदाय के लोग एक साथ शांतिपूर्वक और भाईचारे के साथ रह रहे हैं.शिया धार्मिक गुरु मोहम्मद इरफान के अनुसार यह भाईचारे और सदभावना की मिसाल है. शिया मुस्लिम रिजवाल अली ने बताया कि मुहर्रम के दिन ताजियों के जुलुस का सिलसिला शायद अजमेर से ही शुरु हुआ था और अजमेर में शिया सुन्नी के बीच कभी विवाद नहीं हुआ.
अजमेर के पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह ने बताया कि शिया और सुन्नी समुदाय इसे शांतिपूर्वक मनाते हैं दोनों में कभी मनमुटाव नहीं हुआ. वे अलग अलग मार्गो से ताजियों का जुलूस निकालते हैं, दोनों के लिए ताजियों के मार्ग चिन्हित किये हुए हैं.उन्होंने कहा कि शिया मुस्लिम तारागढ के उपरी इलाके में रहते हैं जबकि सुन्नी मुस्लिम विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के आस पास रहते हैं.

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