गोधरा कांड: नानावटी आयोग की अंतिम रिपोर्ट 15 नवंबर तक आने की संभावना

अहमदाबाद : गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद भडके दंगों की जांच कर रहे न्यायमूर्ति नानावटी आयोग की अंतिम रिपोर्ट तैयार है जिसे 15 नवंबर तक गुजरात की राज्य सरकार को सौंपा जा सकता है. न्यायमूर्ति जी टी नानावटी ने कहा, ‘‘आयोग सरकार से एक बार और समय बढाने के लिए नहीं कहेगा.’’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2014 7:19 AM

अहमदाबाद : गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद भडके दंगों की जांच कर रहे न्यायमूर्ति नानावटी आयोग की अंतिम रिपोर्ट तैयार है जिसे 15 नवंबर तक गुजरात की राज्य सरकार को सौंपा जा सकता है.

न्यायमूर्ति जी टी नानावटी ने कहा, ‘‘आयोग सरकार से एक बार और समय बढाने के लिए नहीं कहेगा.’’ इससे पहले गुजरात सरकार ने आयोग का कार्यकाल 24 बार बढाया है. पिछली बार 30 सितंबर को आयोग की अवधि बढाई गयी थी जो 31 अक्तूबर को समाप्त हो रही है.

न्यायमूर्ति नानावटी ने कहा, ‘‘25वीं बार कार्यकाल बढाने की जरुरत नहीं है क्योंकि हमारी अंतिम रिपोर्ट तैयार है. इसे छापा जा रहा है और कुछ दिन में हमारे पास आ जाएगी. हम इसे सरकार को 15 नवंबर तक सौंप देंगे.’’ आयोग में दो सेवानिवृत्त न्यायाधीश नानावटी और अक्षय मेहता हैं. जांच आयोग ने 2008 में गोधरा ट्रेन कांड के बारे में अपनी रिपोर्ट का एक हिस्सा सौंपा था. आयोग ने इसमें कहा था कि गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के कोच संख्या एस-6 में आग लगना ‘सोची समझी साजिश’ का हिस्सा था.

गुजरात सरकार ने 27 फरवरी, 2002 को गोधरा ट्रेन अग्निकांड और बाद में राज्य में भडके दंगों के मद्देनजर तीन मार्च, 2002 को जांच आयोग अधिनियम के तहत आयोग का गठन किया था जिसमें न्यायमूर्ति केजी शाह थे. शुरुआत में आयोग के विचारणीय विषयों (टीओआर) में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे के जलने के घटनाक्रम के तथ्यों, हालात के बारे में पडताल करना शामिल था.

गुजरात की सरकार ने मई, 2002 में उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति नानावटी को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया और जून 2002 में इसके टीओआर में संशोधन किया गया. साल 2008 में न्यायमूर्ति के जी शाह के निधन के बाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अक्षय मेहता को आयोग में नियुक्त किया गया.

Next Article

Exit mobile version