‘राज्यों के पास फ्रीबीज के लिए धन हैं, जजों की सैलरी-पेंशन के लिए नहीं’, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक में ही विदेशों में जमा कालाधन पर एसआइटी गठन का फैसला ले लिया था. भले मोदी व उनके लोगों ने देश वासियों को यह संदेश दिया कि यह उनकी सरकार का क्रांतिकारी कदम है, लेकिन सच यह है कि उच्चतम न्यायालय के एसआइटी गठन के निर्देश पर ही मोदी सरकार ने ऐसा किया था. शीर्ष अदालत खुद इस पूरे मामले पर निगाह रखे हुए है.
कालाधन पिछले दो लोकसभा चुनाव प्रचार में बड़ा मुद्दा बनता रहा है. भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पिछले चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी व उनके बाद इस बार नरेंद्र मोदी ने कालाधन के सवाल पर चुनाव अभियान में कांग्रेस की जोरदार घेराबंदी की. इसका मोदी को राजनीतिक लाभ भी हुआ.
वहीं, मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब एक न्यूज चैनल से बातचीत में यह खुलासा किया कि अगर कालाधन वाले नामों का खुलासा किया जायेगा, तो इससे भाजपा को नहीं, बल्कि कांग्रेस को शर्मिदगी ङोलनी पड़ेगी. इसके बाद भाजपा व कांग्रेस के बीच की राजनीति और गरमा गयी. इस बीच बुधवार को एक अंगरेजी अखबार ने अपनी खबर में कहा कि सोमवार को सरकार कालाधन में शामिल कुछ नामों की सूची सर्वोच्च न्यायालय को सौंप सकती है. खबरों के अनुसार, सरकार पहले चरण में 136 नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. इन्हीं खबरों के आधार पर भाजपा के खिलाफ आज कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.कांग्रेस के तेवर से साफ है कि वह भाजपा सरकार से कलोधन के मुद्दे पर दो-दो हाथ को तैयार है.
कांग्रेस बोली, हमें भाजपा सरकार धमकाये नहीं
कांग्रेस ने भाजपा व सरकार खेमे से आयी खबरों के बाद आज कहा कि वह उसे धमकाये नहीं. कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार कांग्रेस को ब्लैकमेल नहीं करे और आधे-अधूरे सच और चुनिंदा खुलासों के बजाय पूरी सूचना को सामने लाये. माकन ने कहा कि सरकार काला धन वापस लाये और काले धन वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करे. लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि सरकार बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करे और आधा नहीं पूरा सच सामने लाये.
कांग्रेस ने भाजपा पर उठाये सवाल
कांग्रेस ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के कांग्रेस के शर्मिदगी ङोलने संबंधी बयान पर आज कई सवाल उठाये. कांग्रेस ने पूछा कि सरकार बनने के पांच महीने बाद कितना धन वापस आया. क्या यह सरकार इसी जन्म में काला धन मंगा लेगी या अगले जीवन काल में.
कांग्रेस के एक अन्य नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में पहले 100 दिन के भीतर संशोधन किसने मांगा. ध्यान रहे कि कुछ दिन पहले भाजपा सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा था कि कृपया हमें यह अनुमति दी जाये कि हम आपके आदेशानुसार नामों का खुलासा नहीं करें. कांग्रेस ने मोदी सरकार पर 100 दिन के पहले कार्यकाल में काला धन देश में लाने के वादे को पूरा नहीं करने का भी आरोप लगाया है. सिंघवी ने पूछा कि क्या इसके लिए भाजपा देश से मांफी मांगेगी.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार देश को बताये कि इस दिशा में उसने पहले 150 दिन में कोई भी अहम कदम क्यों नहीं उठाया. कांग्रेस ने पूछा कि है कि नाम का खुलासा करने के लिए 800 नामों में 136 नामों का चयन क्यों किया जा रहा है. कांग्रेस ने कहा है कि एसआइटी के लिए सरकार द्वारा बार-बार श्रेय लेना भी दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार ही एसआइटी गठित किया. कांग्रेस ने कहा है कि सरकार का तंत्र आपके पास है और लोगों का नाम सार्वजनिक नहीं होने पर बचाव का आरोप कांग्रेस पर क्यों लगाया जा रहा है.
दरअसल, कांग्रेस दस साल तक सत्ता में रही है. उसके कार्यकाल में ही मीडिया में यह खबर आयी थी कि सरकार के पास कालाधन वालों की सूची है. उस समय तकनीकी कारणों से इसे सार्वजनिक करने संबंधी दिक्कतों की भी खबरें आयी थी. लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण उसे इस मामले के तकनीकी पक्ष की समझ व जानकारी है. वह जानती है कि इस संबंध में सरकार जो कुछ भी करेगी, वह सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश से व अंतरराष्ट्रीय संधियों के अनुरूप ही करेगी. कांग्रेस को यह भी आभास है कि इस सूची में सिर्फ उसके लोगों के ही नाम नहीं होंगे, बल्कि सच सामने आयेगा तो कई दूसरे राजनीतिक धड़ों की हकीकत भी सामने होगी. इसलिए कांग्रेस इस मामले में सरकार से दो-दो हाथ करते हुए सारे नाम सार्वजनिक करवाने की कोशिश में है.
वहीं, भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने इन आरोपों को खारिज किया कि भाजपा सरकार कांग्रेस को ब्लैकमेल कर रही है. उन्होंने कहा कि जिस पार्टी के मुंह पर पहले से भ्रष्टाचार की कालिख पूती हो उसे कोई क्यों ब्लैक मेल करेगा.