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छोटे दलों की कुर्बानी की शर्त पर भाजपा-शिवसेना की युति कायम

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मुंबई:महाराष्‍ट्र में जहां एक ओर भाजपा शिवसेना गंठबंधन का तूफान थमता नहीं दिख रहा है वहीं दूसरी ओर इसमें शामिल छोटे दल भी इतने कम सीट पर राजी होते नहीं दिख रहे हैं. गंठबंधन में शामिल चार दलों में से तीन ने इससे बाहर निकलने का निर्णय लिया है. सीटों के बंटवारे के इस फैसले […]

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मुंबई:महाराष्‍ट्र में जहां एक ओर भाजपा शिवसेना गंठबंधन का तूफान थमता नहीं दिख रहा है वहीं दूसरी ओर इसमें शामिल छोटे दल भी इतने कम सीट पर राजी होते नहीं दिख रहे हैं. गंठबंधन में शामिल चार दलों में से तीन ने इससे बाहर निकलने का निर्णय लिया है.

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सीटों के बंटवारे के इस फैसले से रामदास आठवले की आरपीआई, राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, महादेव जानकर की राष्ट्रीय समाज पार्टी के गंठबंधन से बाहर आने के फैसले से शिवसेना सकते में है. वहीं विनायक मेटे की शिवसंग्राम की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. शिव सेना इन पार्टियों को मनाने के प्रयास में जुट गई है.

महादेव जानकर गंठबंधन से काफी नाराज दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा शिवसेना ने पीठ में छूरा घोंपने का काम किया है. दोनों पाटियों ने सिर्फ अपना ख्‍याल रखा है. मुझे शिव सेना और भाजपा से ऐसी उम्मीद नहीं थी. राज्य की 24 प्रतिशत जनता हमारे साथ है. हम अपने दमपर 10 विधायक चुनकर ला सकते हैं.

स्वाभिमानी शेतकारी पार्टी की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए सदाबाऊ खोत ने कहा कि भाजपा-शिवसेना ने अपने अपने पक्ष में सीट करने के लिए मेरा इस्तेमाल किया. दोनों पार्टियों ने मिलकर मेरी सीट का स्थान बदल दिया है. इसकी जानकारी उन्होंने मुझे नहीं दी और मुझे मीडिया से यह जानकारी मिल रही है जो काफी दुखद है.

वहीं मंगलवार को बैठकों का दौर चलने के बाद शिवसेना की ओर से एक फ्रेस प्रपोजल आया है जिसे गंठबंधन में शामिल चार छोटे दल मानते नहीं दिख रहे हैं. इस प्रपोजल में 130 सीट बीजेपी को दी गई है जबकि 151 सीट शिवसेना ने खुद अपने पास रखी है. अन्य सीट को छोटी पार्टियों के लिए छोड़ दिया गया है. सीटों के बंटवारे के इस फैसले से रामदास आठवले की आरपीआई, राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, महादेव जानकर की राष्ट्रीय समाज पार्टी और विनायक मेटे की शिवसंग्राम संतुष्‍ट नहीं दिख रही है.

शिवसेना के नेता रामदास कदम ने मुंबई के उपनगरीय होटल में गठबंधन के सदस्यों के साथ बैठक के बाद देर रात कहा, ‘‘गठबंधन के सहयोगियों के साथ हमारी बैठक में हमने हमारे छोटे सदस्यों के लिए सात सीटें छोडने का नया प्रस्ताव दिया था लेकिन वे इस प्रस्ताव से नाखुश हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें छोटे सहयोगी दलों के साथ मतभेदों को दूर करना है और उनकी बात सुनने के लिए बुधवार को दोबारा बैठक होगी.’’ ऐसा कहा जा रहा है कि अठावले शिवसेना के प्रस्ताव से नाराज थे और चर्चा को बीच में ही छोडकर चले गए. शेट्टी ने कहा कि चार दलों को सात सीटें देना उनका ‘अपमान’ है और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा था, ‘‘यदि शिवसेना , गठबंधन के चार सहयोगी दलों के बीच सात सीटें बांटती है तो यह हमारा अपमान होगा। शिवसेना और भाजपा सभी 288 सीटों पर लड सकते हैं और अपने अहम को तुष्ट कर सकते हैं.’’

वहीं गठबंधन के छोटे सहयोगियों के लिए महज सात सीटों के प्रस्ताव पर नाखुशी जाहिर करते हुए स्वाभिमानी शेतकारी संगठन (एसएसएस) के नेता राजू शेट्टी ने कथित तौर पर व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि शिवसेना और भाजपा को मुख्यमंत्री पद आरपीआई के नेता रामदास अठावले और आरएसपी के नेता महादेव जांकेर को देने के लिए सहमत होना चाहिए. शेट्टी ने शिवसेना के प्रस्ताव पर परोक्ष रुप से निशाना साधते हुए कहा,‘‘अगर आप हमें (लडने के लिए) पर्याप्त सीटें नहीं दे सकते तो कम से कम हमारे नेता को मुख्यमंत्री तो बनाइए.’’

गौरतलब है कि भाजपा को दिए अपने पहले प्रस्ताव में शिवसेना ने अपने लिए 151 सीट,भाजपा को 119 सीट और अन्य 18 गंठबंधन में शामिल दूसरे दलों को देने की बात की थी. लेकिन भाजपा 130 सीट से कम में मानती नहीं दिख रही थी. इसलिए शिवसेना ने भाजपा को 130 सीट देने का प्रस्ताव दिया जबकि छोटे दलों के लिए मात्र 7 सीट बचाई है. अब ऐसे में देखना है कि गंठबंधन में शामिल अन्य दल उनके साथ रह पाते हैं या नहीं.

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