कन्या भ्रूण हत्या पर रोकथाम के प्रति केंद्र गंभीर नहीं: SC

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश में कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम करने में विफल रहने के लिये आज केंद्र सरकार को आडे हाथ लेते हुये उस पर इस मामले में ‘लापरवाही’ बरतने का आरोप लगाया. न्यायमूर्ति दीपम मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को गर्भ धारण से पूर्व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2014 9:27 PM
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नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश में कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम करने में विफल रहने के लिये आज केंद्र सरकार को आडे हाथ लेते हुये उस पर इस मामले में ‘लापरवाही’ बरतने का आरोप लगाया. न्यायमूर्ति दीपम मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को गर्भ धारण से पूर्व और प्रसव पूर्व (लिंग निर्धारण निषेध) कानून पर अमल सुनिश्चित करने के लिये अब तक उठाये गये कदमों का विवरण पेश करने का निर्देश दिया है.

न्यायाधीशों ने सवाल किया, ‘आप (केंद्र) क्या कर रहे हैं? आप कानून बनाते है. लेकिन इसे लागू करने के लिये कुछ नहीं करते और इसे उसके भाग्य पर ही छोड देते हैं. आप इस विषय के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं और उचित प्राधिकार कोई कार्रवाई ही नहीं कर रहा है.’ न्यायालय ने केंद्र सरकार को स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सचिव या कोई दूसरे संबंधित अतिरिक्त सचिव का हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जो स्पष्ट रुप से बतायें कि क्या कदम उठाये गये हैं और कन्या भ्रूण की हत्या रोकने के प्रयास के क्या नतीजे रहे हैं.

न्यायालय ने राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को भी चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. लेकिन न्यायालय ने हाल की विनाशकारी बाढ के मद्देनजर जम्मू कश्मीर सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिये छह सप्ताह का समय दिया है. शीर्ष अदालत ने पिछले साल चार मई को केंद्र और राज्य सरकारों को तत्परता से उन व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था जो कन्या भ्रूण हत्या की गतिविधियों में लिप्त हैं.

न्यायालय ने इस संबंध में पीएनडीटी कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिये कई निर्देश भी दिये थे. न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन वालंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ पंजाब की जनहित याचिका पर ये आदेश दिये थे. इस याचिका में देश में लडके और लडकियों के अनुपात में आ रहे अंतर के मद्देनजर न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था.

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