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दिल्ली में सरकार गठन के मुद्दे पर शीला अपने रुख पर कायम

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नयी दिल्ली: दिल्ली में सरकार के गठन पर पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दिक्षित की टिप्पणियों से कांग्रेस के भीतर विरोध पैदा हो चुका है. बावजूद इसके शीला दीक्षित आज अपने रुख पर कायम रहीं. उन्‍होंने कहा कि वह भाजपा के सत्ता के दावे का समर्थन नहीं करतीं और वह केवल इस मुद्दे पर ‘तथ्यात्मक एवं संवैधानिक’ […]

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नयी दिल्ली: दिल्ली में सरकार के गठन पर पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दिक्षित की टिप्पणियों से कांग्रेस के भीतर विरोध पैदा हो चुका है. बावजूद इसके शीला दीक्षित आज अपने रुख पर कायम रहीं. उन्‍होंने कहा कि वह भाजपा के सत्ता के दावे का समर्थन नहीं करतीं और वह केवल इस मुद्दे पर ‘तथ्यात्मक एवं संवैधानिक’ प्रावधान बता रही थीं.

वर्ष 1998, 2003 और 2008 में दिल्ली में कांग्रेस की विधानसभा चुनाव जीत का नेतृत्व करने वाली शीला ने कहा कि अगर उपराज्यपाल को लगता है कि भाजपा के पास संख्याबल मौजूद है तो भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता देना गलत नहीं होगा.

यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी द्वारा समर्थन देने से इंकार के बाद भाजपा सरकार कैसे बना सकती है, शीला ने कहा कि संख्याबल जुटाना भाजपा की जिम्मेदारी है.

दिल्‍ली की पूर्व मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘संख्याबल जुटाना भाजपा का काम है. यह हमारा काम नहीं है. जो मैंने कहा वह तथ्यात्मक और संवैधानिक था. ’

पिछले महीने केरल की राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने वाली शीला ने कहा कि वह भाजपा का समर्थन करने की सोच नहीं सकतीं और वह केवल नियम बता रही थीं.

शीला ने कहा कि उपराज्यपाल को संतुष्ट होना पडेगा कि उनके पास बहुमत है और केवल उसी स्थिति में वे सरकार बना सकते हैं.’उन्होंने कहा, ‘अगर न्यौता दिया जाता है तो उन्हें विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना पडेगा. मैंने तथ्य बताया था’.

शीला ने बुधवार को टिप्पणी की थी कि भाजपा को सरकार बनाने का अवसर दिया जाना चाहिए. उनकी इस टिप्पणी की कांग्रेस ने आलोचना की थी जबकि भाजपा ने इसका स्वागत किया था.उनकी टिप्पणी पर कांग्रेस की ओलाचना के बारे में पूछे जाने पर शीला ने कहा कि पार्टी ने संभवत: वह नहीं समझा जो उन्होंने कहा.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्होंने यह बात नहीं समझी. मैं पूरी तरह से संवैधानिक जरुरत बता रही थी. मैंने कहा कि भाजपा उस तरह से सरकार बना सकती है जिस तरह से आप ने सरकार बनाई और हमने उन्‍होंने बाहर से समर्थन दिया.’ उन्होंने कहा, ‘यह हर जगह का मामला है, चाहे संसद हो या राज्य विधानसभाएं’.

यह पूछे जाने पर कि अगर भाजपा जरुरी संख्याबल नहीं जुटा पाई तो क्या विकल्प होगा, उन्होंने कहा कि उस स्थिति में नये चुनाव कराने होंगे.

कांग्रेस ने भाजपा द्वारा सरकार के गठन संबंधी शीला के बयान से खुद को दूर करते हुए कहा था कि यह उनकी निजी राय थी और यह पार्टी का रुख नहीं है.कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा को तत्काल भंग करने और चुनाव कराने की मांग कर रही है.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह सक्रिय राजनीति में लौटेंगी, शीला ने सीधा जवाब देने से इंकार किया.पूर्व मुख्यमंत्री ने संकेत दिये कि वह दिल्ली की राजनीति में लौटने की इच्छुक नहीं हैं. उन्‍होंने कहा कि युवा पीढी को कांग्रेस को आगे लेकर जाने के लिए नेतृत्व करना चाहिए.

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