Nirbhaya Case: हाईकोर्ट ने कहा- दोषियों को एक साथ ही फांसी, 7 दिन में आजमा लें सभी कानूनी विकल्प
Nirbhaya rape case hearingदिल्ली हाईकोर्ट निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में चार दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर आज अपना फैसला सुनाया. दोषियों को जल्द-से-जल्द फांसी पर लटकाने की मांग वाली केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि […]
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Nirbhaya rape case hearingदिल्ली हाईकोर्ट निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में चार दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर आज अपना फैसला सुनाया. दोषियों को जल्द-से-जल्द फांसी पर लटकाने की मांग वाली केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सभी दोषियों को एकसाथ ही फांसी होगी. कोर्ट ने साथ ही निर्भया के सभी दोषियों को सात दिन के अंदर सभी कानूनी उपायों को आजमाने की डेडलाइन भी दे दी है.
2012 Delhi gang-rape case: Delhi High Court dismisses Centre's plea challenging trial court order which had stayed the execution of all 4 convicts. Court says death warrant against all 4 convicts can't be executed separately. https://t.co/OYU4r1tyDM
— ANI (@ANI) February 5, 2020
दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है या नहीं इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में रविवार को सुनवाई हुई थी. रविवार को कोर्ट की छुट्टी होती है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए छुट्टी के दिन भी मामले की सुनवाई हुई जिसके बाद न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.
गौरतलब है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके जरिये मामले में चार दोषियों की फांसी पर ‘अगले आदेश तक’ रोक लगा दी गई थी. ये चार दोषी – मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) तिहाड़ जेल में कैद हैं.
इससे पहले दिन में, निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली उच्च न्यायालय से केंद्र की उस याचिका पर जल्द निर्णय का अनुरोध किया, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी गयी है. निर्भया के माता-पिता की ओर से पेश वकील जितेंद्र झा ने बताया कि उन्होंने सरकार की याचिका के जल्द निपटारे के लिए अदालत से अनुरोध किया है.
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने कहा कि जल्द से जल्द इस पर फैसला आयेगा. अदालत ने 31 जनवरी को फांसी की सजा स्थगित कर दी थी क्योंकि दोषियों के वकील ने अदालत से फांसी पर अमल को ‘अनिश्चित काल’ के लिए स्थगित करने की अपील की और कहा कि उनके कानूनी उपचार के मार्ग अभी बंद नहीं हुए हैं.
मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास खारिज हो चुकी है जबकि पवन ने यह याचिका अभी नहीं दाखिल की है. अक्षय की दया याचिका एक फरवरी को दाखिल हुई और अभी यह लंबित है. शीर्ष न्यायालय ने 2017 के अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा दोषियों को सुनायी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था.