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NIA कानून को असंवैधानिक घोषित कराने के लिये कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

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नयी दिल्लीः कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून, 2008 को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून, 2008 को चुनौती देने वाली पहली राज्य सरकार है. छत्तीसगढ़ सरकार ने केरल सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद […]

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नयी दिल्लीः कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून, 2008 को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून, 2008 को चुनौती देने वाली पहली राज्य सरकार है. छत्तीसगढ़ सरकार ने केरल सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दिये जाने के एक दिन बाद यह याचिका दायर की है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत यह वाद दायर किया है. अनुच्छेद 131 के अंतर्गत केन्द्र के साथ विवाद के मामले में राज्य सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून संविधान के अनुरूप नहीं है और यह संसद के विधायी अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि यह कानून राज्य पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच के लिये केन्द्र को एक जांच एजेन्सी के सृजन का अधिकार देता है जबकि यह संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य का विषय है.
अधिवक्ता सुमेर सोढी के माध्यम से दायर इस वाद में कहा गया है कि मौजूदा स्वरूप में एनआईए कानून न सिर्फ पुलिस के माध्यम से जांच कराने का (राज्य) अधिकार छीनता है बल्कि यह केन्द्र को ‘निरंकुश, स्वंय निर्णय लेने का मनमाना अधिकार देता है. याचिका में कहा गया है कि इन अधिकारों के इस्तेमाल के बारे में कोई नियम नहीं है जिसकी वजह से केन्द्र को किसी भी समय कोई कारण बताये बगैर ही इसके अधिकारों के इस्तेमाल की छूट प्रदान करता है.
राज्य सरकार का कहना है कि एनआईए कानून के प्रावधानों में तालमेल के लिये अथवा केन्द्र द्वारा राज्य सरकार से किसी भी प्रकार की सहमति लेने के बारे में कोई व्यवस्था नहीं है जो निश्चित ही संविधान में प्रदत्त राज्य की सार्वभौमिकता के विचार के खिलाफ है. राष्ट्रीय जांच एजेन्सी कानून, 2008 देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित करने वाले अपराधों और अंतरराष्ट्रीय संधियों, समझौतों, संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेन्सियों के प्रस्तावों को लागू करने के लिये बने कानूनों के दायरे में आने वाले अपराधों की जांच और कानूनी कार्यवाही के लिये बनाया गया था.

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