मुंबईः पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने रक्षा सौदों के राजनीतिकरण और इसकी वजह से इसमें हो रही देरी को लेकर बड़ा बयान दिया है. आईआईटी बॉम्बे के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगर गत वर्ष पाकिस्तान के साथ भिड़ंत के दौरान कैप्टन अभिनंदन मिग की बजाय राफेल फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ा रहे होते तो नतीजा कुछ और होता.

धनोआ ने राफेल विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि इन वजहों से रक्षा आपूर्ति प्रभावित होती है और इससे सेना की क्षमता पर असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे (नरेंद्र मोदी सरकार को क्लिन चिट देने) पर एक बढ़िया फैसला दिया. उन्होंने कहा कि मेरा निजी रूप से मानना रहा है कि जब राफेल जैसा मुद्दा उछाला जाएगा, आप रक्षा खरीद प्रणाली को राजनीतिक रंग देंगे, तब पूरा सिस्टम लेट हो जाता है. सभी दूसरी फाइलें भी धीमी गति से आगे बढ़ेंगी क्योंकि तब लोग बहुत सचेत होना शुरू हो जाएंगे.

पूर्व एयर चीफ मार्शल ने कहा कि बालाकोट हवाई हमले के बाद भारत-पाकिस्तान गतिरोध के दौरान यदि विंग कमांडर अभिनंदन वर्द्धमान मिग 21 के बजाय राफेल उड़ा रहे होते, तो नतीजा कुछ अलग होता. धनोवा ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत यूपीए सरकार का नाम लिए बगैर कहा कि 100 प्रतिशत यह (परिणाम) अलग होता. वह (अभिनंदन) राफेल क्यों नहीं उड़ा रहे थे? क्योंकि आपने यह फैसला करने में 10 साल लगाया कि कौन सा विमान खरीदा जाए. इसलिए यह (विलंब) आपको प्रभावित करता है.

पूर्व वायुसेना प्रमुख ने इस बात का जिक्र किया कि बोफोर्स सौदा भी विवाद में रहा था, जबकि बोफोर्स तोप अच्छे रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई एजेंसियां हैं जो शिकायतें प्राप्त होने पर सौदों की जांच करती है.

धनोआ ने कहा कि लोगों को विमानों की कीमतों के बारे में पूछने का अधिकार है क्योंकि उसमें करदाताओं का पैसा लगा होता है. पिछले साल सितंबर में सेवानिवृत्त हुए धनोआ ने कहा कि विवाद पैदा होने के चलते रक्षा (साजो सामान) के आधुनिकीकरण के धीमा पड़ने का बाद में आप पर असर पड़ता है.