जानें कौन हैं फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जिनकी शायरी पर हंगामा है बरपा…

मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ एकबार फिर चर्चा में हैं, बहस तो उनकी शायरी को लेकर ही है, लेकिन उनकी शायरी पर इस बार यह इल्जाम लगा है कि वह हिंदू विरोधी है. फ़ैज़ साहब उर्दू के शायर थे और विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गये थे लेकिन उनके चाहने वालों की लंबी फेहरिस्त पाकिस्तान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2020 4:48 PM

मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ एकबार फिर चर्चा में हैं, बहस तो उनकी शायरी को लेकर ही है, लेकिन उनकी शायरी पर इस बार यह इल्जाम लगा है कि वह हिंदू विरोधी है. फ़ैज़ साहब उर्दू के शायर थे और विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गये थे लेकिन उनके चाहने वालों की लंबी फेहरिस्त पाकिस्तान के साथ-साथ उत्तर भारत में भी है.

कौन थे फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का जन्म अविभाजित भारत के सियालकोट शहर में हुआ था. फ़ैज़ अपनी क्रांतिकारी रचनाओं के कारण जाने गये. उनका लेखन प्रगतिवादी था. उनके बारे में यह कहा जाता था कि वे कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे. उनपर यह आरोप भी लगा था कि वे पाकिस्तान विरोधी हैं. उनकी रचनाएं पाकिस्तान और भारत के लोगों के दिलो-दिमाग में बसी है. और भी गम है जमाने में मोहब्बत के सिवा, कहने वाले फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के कई फैन हमारे देश में मौजूद हैं. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने 1977 में पाकिस्तान में हुए तख्तापलट के खिलाफ ‘हम देखेंगे ’ शायरी लिखी थी. उस वक्त सेना प्रमुख जियाउल हक ने तख्तापलट कर सत्ता को अपने कब्जे में लिया था और एक प्रगतिशील शायर ने यह कविता लिखी थी. उन्हें कई बार जेल में रहना पड़ा और निर्वासन भी झेलना पड़ा था.

मिली जुली प्रतिक्रिया आयी सामने

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी पर विवाद होने के बाद सोशल मीडिया में कई तरह की प्रतिक्रिया सामने आयी, जिसमें कई लोगों ने इसी शायरी को पोस्ट कर इस शायरी पर विरोध को बेवकूफाना बताया, तो कइयों ने विस्तार से कविता का अर्थ भी समझाया. आर जे शायमा ने इस शायरी का ट्रांसलेशन करके समझाया है. यह शायरी पाकिस्तान में हुकूमत के खिलाफ लिखी गयी, उस वक्त यह शायरी वहां बहुत प्रसिद्ध हुई थी.वहीं कुछ लोग इस बात से सहमत भी दिखे हैं कि यह शायरी हिंदू विरोधी है. प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर ने यह कहा है कि उनकी रचना को हिंदू विरोधी बताना हास्यास्पद है.

क्या है मामला

उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए परिसर में 17 दिसंबर को मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता ‘हम देखेंगे’ गाये जाने के बाद यह विवाद शुरू हो गया कि यह हिंदू विरोधी शायरी है, जिसके कई शब्द हिंदुओं की धार्मिक भावना को आहत कर सकते हैं. आईआईटी के लगभग 300 छात्रों ने परिसर के भीतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था क्योंकि उन्हें धारा 144 लागू होने के चलते बाहर जाने की इजाजत नहीं थी. प्रदर्शन के दौरान एक छात्र ने फैज़ की कविता ‘हम देखेंगे’ गाया था जिसके खिलाफ वासी कांत मिश्रा और 16 अन्य लोगों ने आईआईटी निदेशक के पास लिखित शिकायत दी. उनका कहना था कि वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि कविता में कुछ दिक्कत वाले शब्द हैं जो हिंदुओं की भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं.

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