नयी दिल्ली : एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए इस विधेयक की प्रति फाड़ दी.

इसका कड़ा विरोध करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह संसद का अपमान है. विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह सरकार मुसलमानों के ‘राष्ट्रविहीन’ बनाने की साजिश कर रही है.

उन्होंने यह दावा भी किया कि यह विधेयक एक बार फिर से देश के बंटवारे का रास्ता तैयार करेगा. ओवैसी यह आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी ने नागरिकता कार्ड को फाड़ा था और मैं आज इस विधेयक को फाड़ता हूं. इसके बाद उन्होंने विधेयक की प्रति फाड़ दी. इस पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ओवैसी वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्होंने जो किया है वो सदन का अपमान है. भाजपा सदस्य पीपी चौधरी ने कहा कि ओवैसी ने संसद का अपमान किया है.

गौरतलब हो गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सोमवार को कहा कि यह भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है तथा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश के 130 करोड़ लोगों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाकर इसकी मंजूरी दी है.

शाह ने लोकसभा में विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि हम पूर्वोत्तर की स्थानीय संस्कृति एवं रीति रिवाज का संरक्षण करने के लिये प्रतिबद्ध हैं. गृह मंत्री ने कहा कि हम पूर्वोत्तर के लोगों का आह्वान करते हैं कि वे किसी उकसावे में नहीं आएं.

उन्होंने कहा कि यह विषय हमारे घोषणापत्र में शामिल रहा है जो जनभावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है. शाह ने कहा, क्या केवल नेता के चेहरे, परिवार के नाम पर चुनाव लड़ने चाहिए. शाह ने कहा कि यह विधेयक ऐसे लाखों करोड़ों लोगों को ‘नरक की यातना’ से निकालेगा जो पड़ोसी देशों से भारत आने पर मजबूर हुए और यहां उन्हें कोई भी अधिकार नहीं मिला है.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी के साथ अन्याय करने वाला नहीं, केवल न्याय करने वाला है. लोग 70 साल से इस न्याय का इंतजार कर रहे थे. गृह मंत्री ने विपक्ष के सदस्यों के विचारों का जिक्र करते हुए कहा कि बार-बार अल्पसंख्यकों की बात हो रही है तो क्या बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए शरणार्थी अल्पसंख्यक नहीं हैं जो धार्मिक आधार पर यातनाएं सहने के कारण वहां से भारत आए. उन्होंने कहा कि संविधान सभा ने पंथ निरपेक्षता की बात कही थी, हम उसका सम्मान करते हैं और उसे आगे ले जाने के लिए उत्सुक हैं.

उन्होंने कहा कि किसी के भी साथ धार्मिक आधार पर दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए. शाह ने कहा कि घुसपैठियों और शरणार्थियों की अलग पहचान करना भी जरूरी है. गृह मंत्री ने कहा कि राशन कार्ड या किसी दस्तावेज के बिना भी शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी. उन्होंने कहा, कांग्रेस के सदस्य साबित कर दें कि विधेयक भेदभाव करता है तो मैं विधेयक वापस ले लूंगा.