नयी दिल्लीः देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की आज 135वीं जयंती है. पूरा देश आज उनकी जयंती के मौके पर उन्हें याद कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया- देश के पहले राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन. […]
नयी दिल्लीः देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की आज 135वीं जयंती है. पूरा देश आज उनकी जयंती के मौके पर उन्हें याद कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया- देश के पहले राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन. उन्होंने आजादी के आंदोलन में अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाई, साथ ही संविधान के निर्माण में भी विशिष्ट योगदान दिया. विनम्रता और विद्वता से भरा उनका व्यक्तित्व देशवासियों को सदा प्रेरित करता रहेगा.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे. वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था. पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेंद्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था.
राजेंद्र प्रसाद एकमात्र नेता रहे, जिन्हें दो बार लगातार राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया. पेशे से वकील राजेंद्र प्रसाद आजादी के संघर्ष में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे. उन्होंने महात्मा गांधी की प्रेरणा से वकालत छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में उतरने का फैसला किया. उन्होंने व्यक्तिगत भावी उन्नति की सभी संभावनाओं को त्यागकर गांवों में गरीबों और दीन किसानों के बीच काम करना स्वीकार किया.
वह 1950 में संविधान सभा की अंतिम बैठक में राष्ट्रपति चुने गए और 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक देश के राष्ट्रपति रहे. राष्ट्रपति बनने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने कई सामाजिक कार्य किए. साथ ही उन्होंने कई सरकारी दफ्तरों की स्थापना की. स्वतंत्र ढंग से काम करने के लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.