अयोध्या पर कभी भी आ सकता है फैसला, देशभर में सुरक्षा हुई कड़ी, आधा यूपी अलर्ट पर, जानें जमीयत प्रमुख ने क्या कहा…
महाराष्ट्र-एमपी में भी एहतियात नयी दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 10 दिनों के अंदर कभी भी आ सकता है. इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. खासकर शहर के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं. […]
महाराष्ट्र-एमपी में भी एहतियात
नयी दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 10 दिनों के अंदर कभी भी आ सकता है. इसके मद्देनजर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देश के कई राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. खासकर शहर के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं.
इस बीच, बुधवार को मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या भूमि विवाद पर शीर्ष अदालत का जो भी फैसला होगा, उसे माना जायेगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आयेगा. साथ ही मदनी ने सभी से न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की अपील की है.
मदनी ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में अपने सबूत पेश किये हैं. उम्मीद है कि शीर्ष अदालत कानून के आधार पर फैसला देगी, न कि आस्था के आधार पर. उन्होंने कहा कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द हर-हाल में कायम रहना चाहिए.
कहा कि कुछ महीने पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत से उनकी मुलाकात भी इसी मुद्दे को लेकर हुई थी. हम अपने-अपने नजरिये पर रहकर, इस बात पर सहमत हुए हैं कि देश में हिंदू-मुस्लिम एकता हर हाल में बनी रहनी चाहिए. इसके लिए वह (भागवत) भी कोशिश कर रहे हैं और हम भी कोशिश कर रहे हैं.
जमीयत उलेमा को उम्मीद, सबूतों के आधार पर आयेगा निर्णय
किसी मंदिर को तोड़ कर नहीं बनी मस्जिद : जमीयत प्रमुख
मदनी ने कहा कि मस्जिद को लेकर मुसलमानों का मामला पूरी तरह से ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है. बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़ कर नहीं कराया गया है. अदालत के फैसले से पहले किसी तरह की मध्यस्थता की संभावना को खारिज करते हुए मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद शरिया के मुताबिक एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी. किसी शख्स के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसी विकल्प की उम्मीद में मस्जिद के दावे से पीछे हट जाये.
मौलाना का दावा : राम चबूतरा, सीता रसोई और सहन पर से मुस्लिम पक्ष दावा छोड़ने को था तैयार
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने दावा किया कि उन्होंने मध्यस्थता समिति से कहा था कि भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकार राम चबूतरा, सीता रसोई और सहन (आंगन) के हिस्से पर अपना दावा छोड़ने को तैयार है और तीन गुम्बदों के नीचे की जगह मांग रहा है.
कहा कि मध्यस्थता की कोशिश 11-12 बार नाकाम हो चुकी थी, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए कहा, तो मैं मध्यस्थता के लिए सहमत हो गया. मध्यस्थता का मतलब है कि सभी पक्षकार अपने-अपने रुख में थोड़ा नरमी लाएं. अगर कोई पीछे नहीं हटता है, तो मध्यस्थता नहीं होगी.
विहिप ने देशवासियों से की अपील- मुकदमा जीते तो उन्माद नहीं, हारे तो कोई विषाद नहीं विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने अयोध्या विवाद पर फैसले के मद्देनजर लोगों से हर स्थिति में संयम बरतने की अपील है.
उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस मामले में बरसों से चल रही मुकदमेबाजी का अंतिम परिणाम बहुसंख्यक समुदाय के पक्ष में आयेगा. कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले देश में अमन-चैन का माहौल है. हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि संभावित फैसले के मद्देनजर वे संयम बनाये रखें. मुकदमा जीतने पर किसी भी तरह के उन्माद का प्रदर्शन नहीं किया जाये और मुकदमा हारने पर किसी भी तरह का विषाद व्यक्त नहीं किया जाये.
सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए 16 हजार स्वयंसेवी तैनात
फैसला आने से पहले फैजाबाद पुलिस (यूपी पुलिस) ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पर नजर रखने के लिए 16 हजार स्वयंसेवियों को तैनात किया है.
एसएसपी ने बताया कि भूमि विवाद पर जब आदेश आयेगा, उस समय शांति कायम रखने के लिए जिले के 1,600 स्थानों पर भी इतनी ही संख्या में स्वयंसेवियों को रखा गया है. प्रशासन ने सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए स्वयंसेवियों के व्हाट्सएप समूह भी बनाये हैं. एसएसपी ने बताया कि चार सुरक्षा क्षेत्र बनाये गये हैं: लाल, पीला, हरा और नीला.