जम्‍मू-कश्‍मीर पुनर्गठन : चीन को भारत का दो टूक, कहा, यह हमारा आंतरिक मामला

नयी दिल्ली : जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले पर आपत्ति को लेकर चीन पर पलटवार करते हुए भारत ने वृहस्पतिवार को कहा कि पुनर्गठन पूरी तरह उसका आंतरिक मामला है तथा वह ऐसे विषयों पर अन्य देशों से टिप्पणी की अपेक्षा नहीं करता. भारत ने यह भी कहा कि चीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2019 6:16 PM
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नयी दिल्ली : जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के फैसले पर आपत्ति को लेकर चीन पर पलटवार करते हुए भारत ने वृहस्पतिवार को कहा कि पुनर्गठन पूरी तरह उसका आंतरिक मामला है तथा वह ऐसे विषयों पर अन्य देशों से टिप्पणी की अपेक्षा नहीं करता.

भारत ने यह भी कहा कि चीन ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के हवाले से एक बयान में कहा गया, उसने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के भारतीय क्षेत्रों पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है.

केंद्र सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने का फैसला किया था तथा जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा की थी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने वृहस्पतिवार को बीजिंग में मीडिया से कहा कि भारत ने एकपक्षीय तरीके से अपने घरेलू कानूनों तथा प्रशासनिक विभाजन को बदल लिया और चीन की संप्रभुता को चुनौती दी.

उन्होंने कहा, यह गैरकानूनी है तथा किसी भी तरीके से प्रभावी नहीं है. यह इस तथ्य को नहीं बदलेगा कि क्षेत्र चीन के वास्तविक नियंत्रण में है. चीन के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा कि बीजिंग को इस विषय पर भारत के सतत तथा स्पष्ट रुख की भलीभांति जानकारी है.

उन्होंने कहा, पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठन का विषय पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है. कुमार ने कहा, हम चीन समेत अन्य देशों से ठीक उसी प्रकार भारत के आंतरिक विषयों पर टिप्पणी की अपेक्षा नहीं करते जिस तरह भारत दूसरे देशों के आंतरिक मुद्दों पर टिप्पणी से बचता है.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश भारत का आंतरिक हिस्सा हैं और भारत दूसरे देशों से अपेक्षा करता है कि उसकी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें.

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