जम्मूः यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू- कश्मीर का दौरा करने पहुंचा. सांसदों का दल मंगलवार सुबह करीब आठ बजे दिल्ली से श्रीनगर के लिए रवाना हुआ.सांसदों के इस दौरे को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने घाटी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. इससे पहले इन सदस्यों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अलग से जानकारी दी.
कश्‍मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्‍छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद यह किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की पहली कश्मीर यात्रा है. यह शिष्टमंडल अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करेगा. ये सांसद जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों से बातचीत कर उनके अनुभव जानना चाहते हैं. विदेशी सांसदों के इस दौरे पर विवाद खड़ा हो गया है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने (ईय़ू) सांसदों को जम्मू-कश्मीर जाने देने और भारतीय सांसदों पर ‘बैन’ को लेकर सवाल उठाए हैं. भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने भी केंद्र के इस रुख पर हैरानी जताई है.
स्वामी ने ट्वीट किया, मुझे आश्चर्य है कि गृह मंत्रालय ने यूरोपीय संघ के सांसदों को जम्मू-कश्मीर के कश्मीर क्षेत्र का दौरा करने की व्यवस्था की है. यह हमारी राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है. मैं सरकार से इसे रद्द करने का आग्रह करता हूं. क्योंकि यह यात्रा अनैतिक है.
इधर, कांग्रेस नेताओं ने भी इस मामले को लेकर सरकार की आलोचना की. कश्मीर दौरे पर जाने वाले इस दल के सदस्य और वेल्स से यूरोपियन संसद के सदस्य नाथन गिल ने उम्मीद जताई कि इस दौरे से जमीनी हालत जानने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘यह हमारे लिए एक शानदार मौका है जब हम विदेश प्रतिनिधि के तौर पर कश्मीर जाकर हालात का जायजा लेंगे और जमीनी हकीकत को खुद देखेंगे.